गंगा नदी सनातन धर्म में विशेष महत्व क्यों रखती है?

 
गंगा नदी सनातन धर्म में विशेष महत्व क्यों रखती है?

गंगा नदी को भारत में सबसे पवित्र नदी माना जाता है. और इसे गंगा मैया के नाम से बुलाया और पूजा जाता है. गंगा का शाब्दिक अर्थ है संगीत की ध्वनियों के साथ बहती जाना. हमारे देश की सबसे बड़ी नदी है. जो भारत से बहती हुई बांग्लादेश से गुजर कर बंगाल की खाड़ी में मिलती है. यह हरिद्वार, अल्लाहाबाद, और वाराणसी के अलावा भी बहुत जगह पूजी जाती हैं. हिंदू धर्म में गंगा के जल को पवित्र और गंगा को पूजनीय माना जाता है.

यह भी मान्यता है कि गंगा नदी में स्नान करने से सारे पाप धुल जाते हैं. हमारी संस्कृति में कोई भी शुभ कार्य गंगा के पवित्र जल के बिना नहीं हो सकता. किसी के मरने के बाद उसकी अस्थियों को गंगा नदी में बहाने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. कुछ लोग गंगा के किनारे ही प्राण विसर्जन या अंतिम संस्कार भी करते हैं. ऐसा करना शुभ माना जाता है.

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पौराणिक कथाओं के अनुसार गंगा नदी का निर्माण ब्रह्मा, विष्णु के पैरों के पसीने की बूंदों से हुआ है. भागीरथ की घोर तपस्या से गंगा को पृथ्वी पर लाया गया है. गंगा का सर्वप्रथम वास शिव की जटाओं में हुआ. उसके बाद शिव की एक लटा खुल जाने से गंगा की धारा पृथ्वी पर बहने लगी. ब्रह्मा, विष्णु, महेश त्रिमूर्ति सदस्यों के स्पर्श के कारण यह नदी पवित्र मानी गई है.

गंगा नदी का वैज्ञानिक महत्व

भारत में नदियों को हमेशा मां का दर्जा दिया जाता है. सभी नदियों में गंगा की खास महिमा बताई गई है. गंगा के धार्मिक महत्व के साथ ही कुछ वैज्ञानिक महत्व इस प्रकार हैं -

-गंगा नदी का जल वर्षों तक प्रयोग करने पर भी खराब नहीं होता है.
-जल में कभी कीड़े भी नहीं पड़ते है.
-इसका नियमित प्रयोग करने से व्यक्ति रोग मुक्त हो जाता है.
-माना जाता है कि गंगा जिस रास्ते से बहती हुई पृथ्वी पर आई थी. उसी रास्ते में दिव्य औषधियां और वनस्पतियां देखने को मिलती है.
-वैज्ञानिक परीक्षण के आधार पर अस्थियां विसर्जन इसलिए किया जाता है. क्योंकि हड्डियों में कैल्शियम और फास्फोरस की बहुत अधिक मात्रा पाई जाती है. जो खाद के रूप में भूमि को उपजाऊ बनाता है. गंगा के जल से भूमि का बहुत बड़ा भाग सिंचित हो जाता है.

इसके अलावा प्रत्येक सोमवार को शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाएं. जल चढ़ाते वक्त महामृत्युंजय मंत्र या ओम नमः शिवाय का जाप करें. आयु रक्षा और अच्छे स्वास्थ्य की प्रार्थना करें. घर में सुख समृद्धि बनाए रखने के लिए गुरुवार के दिन गंगाजल मिले पंचामृत से कृष्ण भगवान को स्नान करवाएं. और फिर उसी पंचामृत को प्रसाद के रूप में ग्रहण करें.

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