धार्मिक दृष्टि से गाय हिंदू धर्म में क्यों पूजनीय है?
धार्मिक पुराणों के आधार पर, गाय में सभी देवताओं का वास बताया गया है. इसलिए गाय हिंदुओं के लिए बहुत पूजनीय है. पुराणों के एक भविष्य पुराण में गाय का स्पष्ट रूप से वर्णन किया गया है. इसमें 33 कोटि देवी देवताओं का वास बताया गया है. भगवान कृष्ण को गायों का संरक्षक कहा जाता है. इनके गौमाता, गौ, कामधेनु, आदि नाम प्रचलित हैं. गौमाता भारत की सांस्कृतिक और आर्थिक बुनियाद हैं. गौ रक्षा का वास्तविक अर्थ समस्त सृष्टि की रक्षा करना है. हमारी भारतीय संस्कृति में गाय को माता के रूप में पूजा जाता है. दिवाली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा के अवसर पर गाय की विशेष पूजा की जाती है. गाय के दूध, गोवर मूत्र आदि का प्रयोग अलग-अलग क्षेत्रों में किया जाता है. शास्त्रों के अनुसार किसी शुभ कार्य को करने से पहले उस स्थान को गाय के गोबर से लीपना शुभ माना गया है.
गाय से जुड़ी धार्मिक मान्यताएं
-धार्मिक रूप से गाय को पूजनीय माना जाता है.
-गाय के प्रत्येक उत्पाद स्वास्थ्यकारी और लाभकारी होते हैं.
-गाय का दूध ही नहीं बल्कि मूत्र भी आयुर्वेदिक दवाइयों के निर्माण में और गोबर कृषि के काम आता है.
-गाय का गोबर भारतीय खेती के लिए अमृत माना जाता है.
-गोबर के द्वारा घर की जमीन, दीवारों को मजबूत और सुंदर बनाया जाता है.
-शास्त्रों के अनुसार विवाह करने के लिए गोधूलि (शाम) का समय अच्छा बताया गया है.
-कहा जाता है कि अगर यात्रा पर जाते वक्त दूध पीता बछड़ा दिख जाए, तो यात्रा सफल हो जाती है.
-अगर वास्तु दोष से पीड़ित है. तो घर में गाय रखना बेहद शुभ होता है.
-कुंडली में शुक्र ग्रह का दोष नष्ट करने के लिए गाय को एक रोटी रोज खिलाएं.
-पितृ दोष को समाप्त करने के लिए गाय को प्रतिदिन या अमावस्या के दिन रोटी, गुड, चारा आदि खिलाना चाहिए.
-रात में बुरे सपने आते हो, तो सोने से पहले गौ माता का नाम लेकर सोना चाहिए.
-कुंडली में सूर्य-चंद्र के कमजोर होने पर गौ नेत्रों के दर्शन करने चाहिए.
-गर्मियों में गाय को पानी और सर्दियों में गुड़ अवश्य खिलाना चाहिए.
-जो व्यक्ति गौमाता की सेवा, पूजा श्रद्धा भाव से करता है. गौ माता उस पर आने वाली सारी विपदाओं को समाप्त कर देती हैं.
इस प्रकार गाय प्रत्येक दृष्टि से लाभदायक और पूजने योग्य है, इसीलिए गाय की सेवा, सुरक्षा और सम्मान करना चाहिए.
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