शिवलिंग पर दूध क्यों चढ़ाया जाता है?
सावन महीने में भगवान शिव की पूजा की जाती है. और साथ ही शिवलिंग पर जल व दूध अर्पित करने का भी प्रावधान है. शिवलिंग पर कच्चा दूध चढ़ाने के कई कारण हो सकते हैं जैसे धार्मिक, वैज्ञानिक या फिर आध्यात्मिक. हिंदू धर्म के अनुसार शिवलिंग पर जल चढ़ाने से सुख शांति, धन प्राप्ति, जैसी आदि सुविधाओं की प्राप्ति होती है. वैज्ञानिक तौर पर देखा जाए तो दूध शीतल होने के कारण भगवान भोले शंकर के विषैले कंठ को ठंडक प्रदान करता है. और साथ ही भोले शंकर का क्रोध भी शांत होता है.
धार्मिक महत्व
विष्णु पुराण के अनुसार जब समुद्र मंथन हुआ था. तो उस समय 14 रत्न प्राप्त हुए थे जिनमें से विष भी निकला था. जिसे भोले शंकर ने ग्रहण कर लिया. तभी विष की गर्मी को कम करने के लिए देवताओं ने जल डाला, लेकिन उससे कुछ नहीं हुआ. फिर देवताओं ने भगवान शिव से कच्चा दूध पीने का अनुरोध किया जिससे भगवान शिव के विषैले कंठ को ठंडक प्रदान हुई. क्योंकि दूध में शीतलता होती है. भगवान शिव को दूध अति प्रिय है तभी से शिवलिंग पर दूध चढ़ाने की परंपरा शुरू हो गई.
वैज्ञानिक महत्व
सावन महीने में अधिक वर्षा होने के कारण मौसम में परिवर्तन होने लगता है. जिसके चलते बीमारियां होने की संभावना बढ़ जाती है. कहा भी जाता है कि सावन महीने में दूध का सेवन नहीं करना चाहिए. इसका मुख्य कारण यही है कि मौसम परिवर्तन होता है जिससे कई तरह के कीड़े-मकोड़े गाय भैंस के भोजन के जरिए दूध में मिल जाते हैं. जो हमारी सेहत के लिए बहुत हानिकारक होते हैं. इसीलिए सावन माह में दूध शिवलिंग पर अर्पित करने का प्रावधान है.
शिवलिंग पर दूध चढ़ाने के अन्य महत्व
हिंदुओं में गाय के दूध को सर्वाधिक पवित्र माना जाता है. शिवरात्रि और सोमवार के दिन भगवान शिव का रुद्राभिषेक गाय के दूध से ही किया जाता है. जिससे जातक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
-ऐसा माना जाता है कि सोमवार या शिवरात्रि के दिन दूध का दान करते हैं तो जातक की राशि में चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती है.
-यदि जल में थोड़ा सा दूध डालकर स्नान करते हैं तो मानसिक तनाव दूर होता है.
-दूध के प्रयोग करने से दरिद्रता का अंत होता है.
-ज्योतिष के अनुसार फूल, धतूरा, भांग, बेलपत्र, दूध आदि शिवलिंग पर चढ़ाने से मन की स्थिरता बढ़ती है. और व्यक्ति उच्च पद ग्रहण कर सकता है.
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