सावरकर भारत में हीरो क्यों और विलेन क्यों? फिर भारत में यह नाम चर्चा में है

 
सावरकर भारत में हीरो क्यों और विलेन क्यों? फिर भारत में यह नाम चर्चा में है

भारत में सावरकर एक ऐसा चरित्र है जो एक तबके के लिए हीरो है तो दूसरे के लिए वीलेन। अब राजनाथ सिंह के बयान के बाद सावरकर फिर से चर्चा में आ गए हैं।

राजनाथ सिंह ने दावा किया था कि, ''महात्मा गांधी ने सावरकर से दया याचिका दायर करने को कहा था।''

जबकि दस्तावेज़ बताते हैं कि सावरकर ने 1911 में अपना पहला माफी नामा लिखा था और महात्मा गांधी साल 1915 में दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे थे।

सावरकर भारत में हीरो क्यों और विलेन क्यों? फिर भारत में यह नाम चर्चा में है

सावरकर विलन या हीरो?

बहुचर्चित किताब 'द आरएसएस-आइकॉन्स ऑफ़ द इंडियन राइट' लिखने वाले नीलांजन मुखोपाध्याय के अनुसार " विनायक दामोदर सावरकर एकबार गांधी को खाने की दावत दी तो गांधी ने ये कहते हुए माफ़ी माँग ली कि वो न तो गोश्त खाते हैं और न मछली। तब सावरकर ने गांधी का मजाक उड़ाते हुए बोले कि कोई कैसे बिना गोश्त खाए अंग्रेज़ो की ताक़त को चुनौती दे सकता है?

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सावरकर आरएसएस हिंदू सभा के सदस्य नहीं थे। इसके बावजूद भी सावरकर का आर एस एस में बहुत सम्मान है।
जब वर्ष 2000 में वाजपेयी सरकार ने तत्कालीन राष्ट्पति केआर नारायणन के पास सावरकर को भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' देने का प्रस्ताव भेजा था। तब उन्होंने उसे स्वीकार नहीं किया था।

सावरकर को जेल 25 साल के लिए हुआ था लेकिन सेल्युलर जेल में उनके काटे 9 साल 10 महीनों ने अंग्रेज़ों के प्रति सावरकर के विरोध को बढ़ाने के बजाय समाप्त कर दिया था। सावरकर और उनके समर्थकों के द्वारा अंग्रेज़ों से माफ़ी माँगने पर उनकी सजा माफ हुई थी

अंडमान से वापस आने के बाद सावरकर ने एक पुस्तक लिखी 'हिंदुत्व - हू इज़ हिंदू?' जिसमें उन्होंने पहली बार हिंदुत्व को एक राजनीतिक विचारधारा के तौर पर इस्तेमाल किया।

https://youtu.be/Iaq--fVQv0w

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