New Delhi: यमुना का हाल और खराब, अक्टूबर में भी बढ़ा प्रदूषण स्तर
New Delhi: यमुना नदी का प्रदूषण स्तर लगातार चिंता का विषय बना हुआ है। सितंबर की तुलना में अक्टूबर में यमुना का हाल और बिगड़ गया है। पल्ला और वजीराबाद, जो दिल्ली में यमुना का सबसे स्वच्छ पानी माना जाता है, वहां भी कैमिकल ऑक्सीजन डिमांड (सीओडी) और बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) का स्तर बढ़ा हुआ पाया गया। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) की अक्टूबर माह की रिपोर्ट बताती है कि यमुना का पानी लगातार जहरीला बना हुआ है और इसमें रसायन और सीवरेज के अंश मौजूद हैं।
अक्टूबर माह में प्रदूषण स्तर का बढ़ना
अक्टूबर में यमुना की अलग-अलग आठ स्थानों से पानी के नमूनों का विश्लेषण किया गया। पल्ला, जहां से यमुना दिल्ली में प्रवेश करती है, वहां सितंबर में सीओडी का स्तर 22 मिलीग्राम प्रति लीटर था, जो अक्टूबर में बढ़कर 64 मिलीग्राम प्रति लीटर हो गया। इसी तरह, बीओडी का स्तर सितंबर में तीन मिलीग्राम प्रति लीटर था, जो अक्टूबर में बढ़कर चार मिलीग्राम प्रति लीटर हो गया।
वजीराबाद में यमुना की स्थिति
वजीराबाद में भी प्रदूषण का स्तर बढ़ा है। यहां सितंबर में सीओडी का स्तर 26 मिलीग्राम प्रति लीटर था, जो अक्टूबर में बढ़कर 68 मिलीग्राम प्रति लीटर हो गया। बीओडी का स्तर भी सितंबर में पांच मिलीग्राम प्रति लीटर था, जो अक्टूबर में नौ मिलीग्राम प्रति लीटर तक पहुंच गया।
असगरपुर में स्थिति और गंभीर
असगरपुर (जहां शहादरा और तुगलकाबाद के नाले मिलते हैं) में यमुना का सबसे खराब हाल है। यहां डिजॉल्वड ऑक्सीजन का स्तर शून्य पाया गया, जबकि इसे पांच मिलीग्राम प्रति लीटर से ऊपर होना चाहिए। फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया का स्तर 9,00,000 एमपीएन प्रति लीटर था, जो स्वीकृत सीमा से 3,160 गुना अधिक है।
अन्य स्थानों पर भी हालत खराब
पल्ला को छोड़कर दिल्ली के सभी सात अन्य स्थानों पर फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया की मात्रा स्वीकृत सीमा से काफी अधिक पाई गई। इसके अलावा, असगरपुर, आइएसबीटी और निजामुद्दीन ब्रिज पर भी डिजॉल्वड ऑक्सीजन का स्तर शून्य पाया गया। यमुना का प्रदूषण स्तर लगातार बढ़ने से नदी की हालत बदतर होती जा रही है।