Baisakhi 2023: कुष्ठ रोगों से मिलेगी मुक्ति, इस दिन सत्यनारायण भगवान की होती पूजा, जानें बैसाखी का धार्मिक महत्व
Baisakhi 2023: हिंदू धर्म में हर त्योहार व दिन का खास महत्व होता है और बैसाखी की बात करें तो यह खासतौर पर किसानों का पर्व है। यह पर्व इस साल बैसाखी का पर्व 14 अप्रैल 2023 को मनाया जाएगा। जानते हैं इसका धार्मिक महत्व
सत्यनारायण भगवान की जाती है पूजा
मेष संक्रांति पर गंगा स्नान, जप-तप दान आदि का विशेष महत्व है। साथ ही इस दिन सत्यनारायण भगवान की पूजा भी की जाती है और कथा भी सुनी जाती है, जिसमें सत्तू का भोग लगाया जाता है और घर-घर प्रसाद के रूप में वितरण किया जाता है। इस दिन कई लोग सत्तू का शर्बत बनाकर दान करते हैं और पीते भी हैं।
खत्म होता है खरमास
सूर्य के मेष राशि में आने पर खरमास भी खत्म हो जाता है और शादी-विवाह के लिए शुभ मुहूर्त भी शुरू हो जाते हैं। बैसाखी पर गंगा स्नान करने के बाद नई फसल कटने की खुशी में सत्तू और आम का टिकोला खाया जाता है। इस दिन घरों में खाना नहीं पकाया जाता बल्कि सिर्फ सत्तू का ही सेवन करते हैं। इस दिन सत्तू के साथ मिट्टी के घड़े, तिल, जल, जूते आदि चीजों का भी दान किया जाता है।
स्नान का बड़ा महत्व
मान्यता है कि मेष संक्रांति पर इस जल में स्नान करने से कुष्ठ रोग से मुक्ति मिलती है और गिरगिट व सर्प योनी में जन्म नहीं लेना पड़ता। यहां पर इस उपलक्ष्य में मेले का भी आयोजन किया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाभारत काल में पांडवों के आज्ञातवास के दौरान पांडव काम्यक वन आज के ककोलत जगह पर आए थे, तब उनके साथ भगवान श्रीकृष्ण भी थे। दुर्वासा ऋषि को शिष्यों के साथ कुंति ने यहीं पर सूर्यदेव के दिए पात्र में भोजन बनाकर खिलाया था। साथ ही यहीं पर मां मदलसा ने अपने पति को कुष्ठ रोग से मुक्ति दिलाई थी।
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