Baisakhi 2023: बैसाखी है किसानों का महापर्व, साल 1699 में इस वजह से हुई थी खालसा पंथ की स्थापना

 
Baisakhi 2023: बैसाखी है किसानों का महापर्व, साल 1699 में इस वजह से हुई थी खालसा पंथ की स्थापना

Baisakhi 2023: वैशाख मास के प्रथम दिन को पर्व के रूप में मनाने की परंपरा सिखों के तृतीय गुरु श्रीगुरु अमरदास जी के काल में आरंभ हुई थी। सन 1699 में खालसा पंथ की स्थापना का मुख्य उद्देश्य लोगों पर हो रहे अत्याचार को खत्म करना था।1699 में एक क्रूर मुगल शासक औरंगजेब द्वारा लोगों पर अत्याचार किए जा रहे थे, जिसे खत्म करने के लिए ही 10वें गुरु गुरु गोविंद सिंह द्वारा खालसा पंथ की स्थापना की गई। जानतें है इसके स्थापना का इतिहास

1699 में हुई थी खालसा पंथ की स्थापना

सिखों के 10वें गुरु गुरु गोविंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की, जिसमें उन्होंने ऐसी सिखों की फौज बनाई, जो निडर थी और समाज उत्थान के लिए खुद को न्यौछावर कर सकती थी। खालसा पंथ की स्थापना पंजाब में हुई थी, इसलिए पंजाब में बैसाखी पर्व को एक बड़े स्तर पर बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। साल 1699 में मुगलों से मुकाबला करने के लिए खालसा पंथ की स्थापना हुई थी। गुरु गोविंद सिंह द्वारा बनाया गए खालसा पंथ में केवल 5 व्यक्ति थे, जिन्हें गुरु गोविंद सिंह ने ऐसी ताकत दी, जिन्होंने क्रूर औरंगजेब और उसकी सेना का सामना किया था। भारत देश के साथ-साथ विदेशों में रहने वाले सिख समुदाय के लोग बैसाखी पर्व को बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं।  इस दिन हवाओं में एक अलग ही रौनक रहती है। इस दिन गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ, गुरु वाणी, भजन कीर्तन आदि गुरुद्वारों में चलता रहता है. सांध्य सभी गुरुद्वारों में लंगर की व्यवस्था भी की जाती है।

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बैसाखी है किसानों का महापर्व

बैसाखी को पंजाब और हरियाणा में किसानों का महापर्व भी माना जाता है। इस दिन फसल के कटकर घर आ जाने की खुशी में किसान ईश्वर को धन्यवाद देते हैं और अपने अनाज की पूजा करते हैं। बैसाखी का त्योहार अन्नदाता की खुशहाली और सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। शाम को लोग इकठ्ठा होकर गिद्दा और भांगड़ा करते हैं। सिख समुदाय बैसाखी को नए साल के रूप में भी मनाता है।

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