Health Tips: हाइपरफेजिया यानी बार-बार भूख लगना है बीमारी, जानिए क्या हैं इसके कारण और बचाव के तरीके

 
Health Tips: हाइपरफेजिया यानी बार-बार भूख लगना है बीमारी, जानिए क्या हैं इसके कारण और बचाव के तरीके

Health Tips:  आमतौर पर दिन में चार से छह बार खाना खाना बीमारी नहीं है। लेकिन जब खाना खाने के तुरंत बाद भूख का एहसास होने लगे या हर समय भूख लगे तो हो सकता है कि ये लक्षण हाइपरफेजिया के हो ऐसा लेप्टिन केमिकल या हॉर्मोन से जुड़ी प्रक्रिया में गड़बड़ी के कारण होता है। यह रसायन भूख का एहसास कराने या न कराने के लिए जिम्मेदार होता है। किसी ऐसे व्यक्ति जिसके शरीर में वसा प्रचुर मात्रा में पाया जाता है तब ये हॉर्मोन रिसेप्टर के माध्यम से मस्तिष्क में संकेत नहीं भेज पाता है। इसके चलते व्यक्ति बार-बार भूख महसूस करता है। हाइपरफेजिया यानी बार-बार भूख लगना। इसके कारण न सिर्फ़ शारीरिक बल्कि मानसिक रोग होने का भी ख़तरा रहता है। जानिए क्या हैं इसके कारण, बचाव और ध्यान रखने योग्य बातें।

क्या हो सकते हैं कारण

ये बीमारी अलग-अलग तरह के हॉर्मोनल बदलाव के कारण भी हो जाती है। कुछ जेनेटिक म्यूटेशन के रूप में होते हैं जिन्हें इंसान जन्म से ही लेकर पैदा होता है। भूख नियंत्रित करने वाले लेप्टिन हॉर्मोन का शरीर में असंतुलन होने से भी यह बीमारी हो सकती है। इसके साथ ही शुगर, थायरॉइड जैसी बीमारियों के कारण भी ज्यादा भूख लगने के लक्षण पैदा होते हैं जिससे हाइपरफेजिया होने की आशंका बढ़ जाती है।

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ये समस्याएं उभरती हैं

ज्यादा वजन बढ़ने पर किसी भी प्रकार की गतिविधि करने में समस्या का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा मधुमेह अनियंत्रित हो जाना, रक्तचाप अत्यधिक बढ़ जाना, कोलेस्ट्रॉल बढ़ने जैसी समस्याएं होने लगती हैं। मानसिक स्थिति भी ऐसी हो जाती है कि मरीज बार-बार उल्टी करता है, ज्यादा खाता है जिसके कारण पेट में छाले के लक्षण पैदा होने की आशंकी बढ़ जाती है। अतिरिक्त वज्रन से यदि व्यक्ति की दिनचर्या प्रभावित होने लगे तब उसे तुरंत इलाज कराना चाहिए।

ध्यान रखने योग्य बातें

जब नींद पूरी नहीं होती तो शरीर में ग्रेलिन हॉर्मोन की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे बार-बार भूख लगती है। इसलिए भरपूर नींद लें। इसमें साइकोलॉजिकल काउन्सलिंग और एक आहार विशेषज्ञ की भूमिका अहम होती है। आहार विशेषज्ञ यह सुनिश्चित करता है कि मरीज को अत्यधिक खाना खाने से तो रोका जा सके लेकिन उसके खाने में जरूरी पोषक तत्व जैसे मिनरल व विटामिन्स भरपूर मात्रा में हों। साथ ही साइकोलॉजिकल काउन्सलिंग और डाइट से जुड़े बदलाव बरकरार रखने पड़ेंगे क्योंकि ऐसे मरीज दोबारा से बार-बार खाना शुरू कर देते हैं जिससे फिर से उनका वजन बढ़ सकती है।

ये आदतें अपनाएं

  • नियमित रूप से चिकित्सक से काउंसलिंग कराना बहुत जरूरी है, इसमें ढिलाई न बरतें।
  • खाने की इच्छा होने पर कम कैलोरी वाले खाद्य जैसे हरी सब्जियां, संतरा, चुकंदर आदि का सेवन करें।
  • ज़्यादा वजन बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थ जैसे चीज़, मेयोनीज, फास्ट-फूड, कोल्डड्रिंक्स या मीठी चीजों का सेवन न करें।
  • नियमित व्यायाम करके अतिरिक्त कैलोरी को खर्च करके वजन को नियंत्रित रखें।
  • पर्याप्त मात्रा में पानी पीते रहें। खाने से पहले पानी पीने से देर तक भूख नहीं लगती, इसलिए शरीर में पानी की कमी ना होने दें।
  • हरी मिर्च में मौजूद कैप्सेइसिन नामक यौगिक मेटाबॉल्जिम बढ़ाता और खाने में इसका प्रयोग करना हाइपरफेजिया में लाभदायक होता है।
  • सलाद में काली मिर्च का नियमित सेवन अतिरिक्त चर्बी को निकालता है और कॉलेस्ट्रॉल को कम करता है।

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