National Safe Motherhood Day 2023: नॉर्मल डिलीवरी के लिए क्या उपाय करें, जानिए प्रेग्नेंसी के दौरान सबसे ध्यान रखने वाली बातें
Health Tips: भारत में गर्भावस्था, प्रसव और प्रसवोत्तर सेवाओं के दौरान महिलाओं की पर्याप्त देखभाल के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 11 अप्रैल को राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस मनाया जाता है। सुरक्षित मातृत्व का मतलब सभी महिलाओं को गर्भावस्था और प्रसव के दौरान सुरक्षित और स्वस्थ होने के लिए आवश्यक देखभाल प्राप्त करना सुनिश्चित करना है। राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस जैसे वार्षिक अभियानों का लक्ष्य यही जागरूकता बढ़ाना है कि हर महिला को गर्भावस्था और प्रसव के दौरान जीने और जीवित रहने का अधिकार है। इस मौके पर जानिए गर्भवती महिलाओं को स्वस्थ रहने के क्या उपाय करने चाहिए। आपके मन भी रहते हैं कई तरह के सवाल तो जानें उनके जवाब।
सामान्य डिलीवरी के लिए क्या उपाय करना चाहिए
आपको प्रेगनेंसी में अक्सर आराम करने की सलाह देते हैं जबकि आपको गर्भावस्था में आराम करने के साथ- साथ एकटिव रहना भी होता है। आपकी नॉर्मल डिलीवरी होनी हो या ऑपरेशन से बच्चा पैदा हो, दोनों ही स्थितियों में प्रेगनेंसी के दौरान एक्टव रहना जरूरी होता है। नियमित योगाभ्यास और प्राणायाम करें। प्रेगनेंसी में नियमित एक्सरसाइज करने से महिलाओं को नॉर्मल डिलिवरी में मदद होती है। अपनी डॉक्टर की सलाह के अनुसार रोज हल्की-फुल्की एक्सरसाइज करते रहें।
प्रेग्नेंसी के दौरान वजन कितने किलो तक बढ़ना चाहिए?
यह व्यक्ति-व्यक्ति पर निर्भर करता है। यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि प्रेग्नेंट होने के पहले आपका औसत वज्रन कितना हुआ करता था। अगर प्रेग्नेंसी के पहले आप अंडर वेट हुआ करती थीं तब आपका वजन 18 से 20 किलो तक बढ़ना चाहिए। वहीं अगर प्रेग्नेंट होने के पहले आप ओवरवेट हुआ करती थीं तो आपको कोशिश करनी चाहिए कि आपका प्रेग्नेंसी वेट 5 से 7 किलो तक ही बढ़े। यह मिथक है कि सेहतमंद बच्चे के लिए हर प्रेग्नेंट महिला को दो लोगों जितना खाना खाना चाहिए। आपको अपना खानपान नियंत्रित ही रखना चाहिए और पौष्टिक चीजें खानी चाहिए।
क्या सावधानी रखनी चाहिए?
अपने मन को लेबर पेन और चाइल्डबर्थ के लिए तैयार करें। इसके लिए योग करें, मेडिटेशन का अभ्यास करें और पॉजिटिव सोचें। बच्चे के जन्म के समय उत्पन्न होने वाली हर प्रकार की स्थिति से निपटने के लिए खुद को तैयार रखें। खुद को शांत रखने और सकारात्मक बने रहने के लिए हर संभव प्रयास करें। तनाव बढ़ने से मां और बच्चे के स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है।
सोने की सबसे सही पोज़िशन ?
जैसे ही आपकी प्रेग्नेंसी दूसरी तिमाही में प्रवेश करती है, आपका बेबी बम्प बड़ा होने लगता है, तब आपको बाईं करवट लेकर सोना शुरू कर देना चाहिए। ऐसा करने से आपके बच्चे को पर्याप्त ब्लड सप्लाई मिलती रहेगी। दूसरी तिमाही से कभी भी पेट के बल सोने की गलती न करें। एकतरफ करवट लेकर सोएं और अपने घुटनों को थोड़ा-सा मोड़ लें, ताकि आपके गर्भाशय पर किसी तरह का दबाव न पड़े और आपको सांस लेने में भी तकलीफ न हो। अगर नींद में आप पीठ के बल सो गईं या दाहिनी ओर करवट लेकर लेट गईं तो बहुत ज्यादा चिंता मत कीजिए।
ये भी पढ़ें- Coronavirus New Variant: अब इस नए वैरियंट XBB 1.16 ने मचाया बवाल, जानें कितना है खतरनाक