National safe motherhood Week: गर्भावस्था में बिल्कुल नहीं लें तनाव, खाना खाने के घंटेभर में बच्चे का 4-5 बार मूवमेंट जरूरी
National Safe Motherhood Week 2023: भारत में गर्भावस्था, प्रसव और प्रसवोत्तर सेवाओं के दौरान महिलाओं की पर्याप्त देखभाल के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 11 अप्रैल को राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व वीक मनाया जाता है। सुरक्षित मातृत्व का मतलब सभी महिलाओं को गर्भावस्था और प्रसव के दौरान सुरक्षित और स्वस्थ होने के लिए आवश्यक देखभाल प्राप्त करना सुनिश्चित करना है। प्रेग्नेंसी की तीसरी तिमाही 28 वें सप्ताह से शुरू होकर 40वें सप्ताह तक चल सकती है। इस दौरान शारीरिक और भावनात्मक रूप से बहुत चुनौतीपूर्ण होती है। इसके अलावा दर्द और सूजन की समस्या अधिक हो सकती है। साथ ही डिलीवरी को लेकर भी चिंता सताने लगती है। गर्भावस्था में हार्मोन्स में उतार-चढ़ाव आते हैं. जिसकी वजह से महिलाओं को बार-बार मूड बदलने की शिकायत होती है। लेकिन गर्भावस्था के नौ महीनों में खुश एवं सकारात्मक रहना शिशु के विकास में अहम भूमिका निभाता है। आइए जानते हैं इस दौरान आपको किन बातों का ध्यान रखने की जरूरत है।
दो से तीन सप्ताह में परामर्श लेना जरूरी
- ब्लड प्रेशर, डायबिटीज की जांच के साथ ही हर 15 दिन में डॉक्टर से परामर्श लें। प्रेग्नेंसी के आखिरी महीने में बच्चे का वजन तेजी से बढ़ता है।
- सातवें महीने से बच्चे का मूवमेंट महसूस होने लग जाता है। खाना खाने के एक घंटे में बच्चे का मूवमेंट 4-5 बार होना चाहिए, यदि मूवमेंट कम है तो डॉक्टर से संपर्क करें।
- सामान्य प्रसव के लिए जरूरी है कि इन दिनों योग एवं हल्का व्यायाम करें।
- किसी तरह का संक्रमण है तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें।
- यदि हीमोग्लोबिन कम है. तो खून भी चढ़वाना जरूरी है।
मोटिवेशनल किताबें पढ़ें, खुश रहें
- गर्भावस्था में अक्सर महिलाओं को कुछ चिंताएं एवं भय सताने लगता है, जो पहली बार हार्मोन्स बदलाव के कारण होता है। ऐसे में अच्छी मोटिवेशनल किताबें पढ़ें।
- किसी भी तरह की चिंता है तो उसे छिपाएं नहीं, बल्कि अपने पति एवं परिवार के सदस्यों से शेयर करें।
- शिशु के जन्म होने से पहले ही उसकी परवरिश के लिए भी नी तैयारियां कर लें ताकि प्रसव ण बाद अवसाद की स्थिति न आए और आप तनावमुक्त रहें।
- सकारात्मक रहें। सातवें है महीने से बच्चे को सुनाई भी देने लगता है, इसलिए अच्छा संगीत सुनें। अच्छे विचार रखें, ताकि शिशु का विकास सही हो ।