Parenting Tips: मासूम के साथ करें बात, जल्द विकसित होगी बातचीत की क्षमता

पेरेंट्स पूरी कोशिश करते हैं कि उनके बच्चे के विकास पोषण व परवरिश में किसी तरह कोई कमी न रहे। इन सबके लिए भरसक प्रयास करने के बाद बच्चे का अजीब बर्ताव देखकर माता-पिता यह नहीं समझ पाते कि उनके बच्चे के दिमाग में क्या चलता रहता है। 
  
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Parenting Tips: पेरेंट्स पूरी कोशिश करते हैं कि उनके बच्चे के विकास पोषण व परवरिश में किसी तरह कोई कमी न रहे। इन सबके लिए भरसक प्रयास करने के बाद बच्चे का अजीब बर्ताव देखकर माता-पिता यह नहीं समझ पाते कि उनके बच्चे के दिमाग में क्या चलता रहता है।  अपने बच्चे की बातचीत की क्षमता को विकसित करने के  लिए सबसे अच्छा तरीका है कि आप उनके साथ बात करें। यह बहुत आसान लगता है, लेकिन इसमें कुछ- और भी है।उदाहरण के लिए, सिर्फ बच्चे से बात करने से ही उसकी भाष दक्षता नहीं बढ़ेगी। आपको उनकी समझ और कम्युनिकेशन क्षमताएं विकसित करने में मदद करने के लिए दृश्यात्मक तरीकों और मुद्राओं को भी जोड़ना होगा। आपका बच्चा जल्दी बोलना सीखे और उसका शब्द कोष विस्तृत हो, इसके लिए यह तरीके अपनायें अगर आप अपने बच्चे को किसी चीज के प्रति आकर्षित देखें तो समझें कि वह उसके बारे में जिज्ञासु हैं। वह जो देख रहा हैं, वह उसे छूना, महसूस करना और जानना चाहता है। तो उस चीज के बारे में बच्चे से बात करें चाहे वह कोई घड़ी हो, खिलौना हो या कोई फल इससे उसे - उस चीज़ के रूप-स्वरूप और गुण के बारे में समझने में मदद मिलेगी। 


बच्चे से पूरी तरह जुड़ें

उदाहरण के लिए, सिर्फ बच्चे से बात करने से ही उसकी भाष दक्षता नहीं बढ़ेगी। आपको उनकी समझ और कम्युनिकेशन क्षमताएं विकसित करने में मदद करने के लिए दृश्यात्मक तरीकों और मुद्राओं को भी जोड़ना होगा। आपका बच्चा जल्दी बोलना सीखे और उसका शब्द कोष विस्तृत हो, इसके लिए यह तरीके अपनायें अगर आप अपने बच्चे को किसी चीज के प्रति आकर्षित देखें तो समझें कि वह उसके बारे में जिज्ञासु हैं। वह जो देख रहा हैं, वह उसे छूना, महसूस करना और जानना चाहता है। तो उस चीज के बारे में बच्चे से बात करें चाहे वह कोई घड़ी हो, खिलौना हो या कोई फल इससे उसे - उस चीज़ के रूप-स्वरूप और गुण के बारे में समझने में मदद मिलेगी। बच्चे से पूरी तरह जुड़ें- हो सकता है कि आप पूरा दिन बच्चे के साथ बात करें।

बाल मनोविज्ञान क्या है?

बाल मनोविज्ञान एक अध्ययन का क्षेत्र व विषय है। यह बच्चे के मानसिक, भावनात्मक, सामाजिक और व्यवहारिक विकास से जुड़ा है। बाल मनोविज्ञान से पेरेंट्स व परिवार के सदस्य को बच्चे के स्वाभाव के साथ तालमेल बैठाना व उसके व्यवहार पर प्रतिक्रिया करने जैसी चीजें सीखने में मदद मिलती है

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