Night Shift में काम करने वाले लोग हो जाएं सावधान, कई तरह के कैंसर होने का है खतरा
अक्सर हेल्थ एक्सपर्ट रात को टाईम से सोने की सलाह देते नजर आते हैं. कहा जाता है कि रात में आपको 8 घंटे की निंद जरूर लेनी चाहिए जिससे आप कई बीमारियों से बचे रहते हैं. लेकिन आजकल कई कंपनियां और ऑफिस ऐसे हैं जहां लेट नाइट शिफ्टस तक लोगों को काम करना पड़ रहा है. जिसकी वजह से वह कई तरह के कैंसर के शिकार हो सकते हैं.
दरअसल वॉशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का कहना है कि जो लोग रात की शिफ्ट में काम करते हैं उन्हें सामन्य शिफ्ट में काम करने वाले लोगों की तुलना में अलग-अलग तरह के कैंसर होने का खतरा अधिक होता है.
स्टडी में यह बात सामने आई कि शरीर 24 घंटे एक रिदम में काम करता है, इस दौरान कैंसर से जुड़े कुछ जींस की एक्टिविटी में बांधा उत्पन्न करता है जिसकी वजह से नाइट शिफ्ट में काम करने वाले लोगों के डीएनए डैमेज के प्रति सेस्टिव हो जाते हैं.
इसके साथ ही डीएनए डैमेज को रिपेयर करने वाला तंत्र भी सही से काम नहीं कर पाता है. बता दें कि इस स्टडी को पाइनियल रिसर्च के जर्नल में ऑनलाइन प्रकाशित किया गया. इस अध्ययन में लैब एक्सपेरिमेंट्स हुए है जिसमें स्वस्थ प्रतिभागियों को शामिल किया गया और सभी को सिमुलेटेड नाइट और डाइट शिफ्ट्स के शेड्यूल में रखा गया.
हालांकि शोधकर्ताओं का कहना हैं कि अभी और शोध करने की जरूरत है कि रात की शिफ्ट में काम करने वाले लोगों में कैंसर को रोकने और इलाज करने के लिए क्या कर सकते हैं. इतना ही नहीं WSU स्लीप एंड परफॉर्मेंस रिसर्च सेंटर और यूएस डिपार्टमेंट ऑफ एनर्जी के पैसिफिक नॉर्थवेस्ट नेशनल लेबोरेटरी (PNNL) के साथ मिलकर WSU के वैज्ञानिकों ने शोध किया कि बॉयोलाॉजिकल क्लॉक में ऐसे कौन से बदलाव होते हैं जिसकी वजह से कैंसर का खतरा बढ़ जाता है.
शोधकर्ताओं ने 14 प्रतिभागियों पर एक्सपेरिमेंट किया. इस दौरान प्रतिभागियों ने WSU के हेल्थ साइंसेज के स्लीप लैबोरेटरी में 7 दिन बिताएं. इस दौरान आधे लोगों को नाइट शिफ्ट में बाकी को डे शिफ्ट में रखा गया था. इस दौरान नाइट शिफ्ट में काम करने वाले लोगों के डीएनए में डैमेज देखने को मिला है.
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