Health Tips: विटामिन-डी की कमी बन सकती है आर्थराइटिस का कारण, सूर्य की रोशनी पाचन क्रिया के लिए बहुत उपयोगी

 
Health Tips: विटामिन-डी की कमी बन सकती है आर्थराइटिस का कारण, सूर्य की रोशनी पाचन क्रिया  के लिए बहुत उपयोगी

Health Tips:  एम्स भोपाल के अस्थि रोग विज्ञान (आर्थोपेडिक्स) विभाग द्वारा भोपाल आर्थोपेडिक सर्जन सोसाइटी. और इंडियन कार्टिलेज सोसाइटी (आइसीएस) के सहयोग से ये परिचर्चा आयोजित की गई थी। इसमें भोपाल, इंदौर और जबलपुर के प्रमुख आर्थोपेडिक सर्जन समेत लगभग 70 डाक्टरों ने हिस्सा लिया। आमतौर पर यह धारणा रहती है कि आर्थराइटिस (गठिया रोग) कैल्शियम की कमी से होता है, लेकिन ऐसा नहीं है। विटामिन-डी की कमी भी इसकी बड़ी वजह है। दरअसल, विटामिन-डी का मुख्य स्रोत सूर्य की रोशनी है जो हड्डियों के अलावा पाचन क्रिया में भी बहुत उपयोगी है। जब भी किसी को घुटने या जोड़ में दर्द होता है तो उसे लगता है कैल्शियम की कमी हो गई। विटामिन-डी की ओर ध्यान नहीं जाता। अगर कैल्शियम के साथ-साथ विटामिन डी भी समय पर जांच करवा ली जाए तो आर्थराइटिस को बढ़ने से रोका जा सकता है। यह जानकारी एम्स भोपाल में आल अबाउट कार्टिलेज रिपेयर विषय पर आयोजित कार्यशाला में विशेषज्ञ डाक्टरों ने दी।

एम्स के आर्थोपेडिक्स विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. डा रेहान उल हक ने आयोजन की अध्यक्षता की। सह प्राध्यापक डा. मनीष द्विवेदी ने बताया कि व्यस्त दिनचर्या और आधुनिक संसाधनों के कारण लोग तेज धूप सहन नहीं कर पाते। सुबह से शाम तक कार्यालयों में रहते हैं। खुले मैदान में घूमना-फिरना और खेलना भी बंद हो गया। इस कारण धूप के जरिए मिलने वाला विटामिन उन तक नहीं पहुंच पाता। जबकि कैल्शियम की कमी के कारण हड्डियों व जोड़ों में दर्द होता है। हड्डियां घिसने लगती हैं. और कमजोर हो जाती हैं। जोड़ों पर यूरिक एसिड जमने लगता है।

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कार्यशाला का उद्घाटन कार्यपालक निदेशक प्रो. डा अजय सिंह ने किया। उन्होंने बताया कि आधुनिक जीवनशैली के कारण विशेष रूप से वयस्क युवाओं में विटामिन-डी की कमी से घुटने के जोड़ों पर प्रभाव पड़ता है, लिहाजा इस कार्यशाला के माध्यम से डाक्टरों को अध्ययन के लिए प्रोत्साहित किया। साथ ही आयुर्वेद और योग जैसी वैकल्पिक भारतीय चिकित्सा प्रणालियों के सहयोग से काम करने के नए तरीकों की खोज करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि अस्थि रोग के मामलों में शल्य चिकित्सा (सर्जरी) की जगह अन्य विकल्पों का पता लगाया जाना चाहिए।

विटामिन-डी के लिए यह करें

नियमित रूप से सूर्य की रोशनी लें खासतौर से सुबह 10 से दोपहर 12 के बीच

विटामिन-डी की कमी होने पर तुरंत डाक्टर को दिखाएं

चिकित्सकीय परामर्श के बाद विटामिन-डी की दवा लें

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