NCR की सोसायटियां बन रहीं चोरी की गाड़ियों का नया ठिकाना, पुलिस ने शुरू की सख्त जांच
दिल्ली-एनसीआर की गेटेड सोसायटियां, जिन्हें सुरक्षा के लिए जाना जाता है, अब चोरी की गाड़ियों के लिए सुरक्षित छुपने की जगह बनती दिखाई दे रही हैं। हाल ही में गाजियाबाद के सिद्धार्थ विहार स्थित T&T Homes में एक संदिग्ध Honda Jazz मिलने के बाद मामला फिर चर्चा में आ गया। सोसायटी स्टिकर के बिना खड़ी इस कार को देखकर निवासियों और गार्डों ने तलाश शुरू की, जिसके बाद पता चला कि कार दिल्ली से चोरी हुई थी। सीसीटीवी फुटेज में कुछ लोग कार को सोसायटी में लाते और कपड़े बदलकर निकलते दिखे।
पुलिस अधिकारियों के अनुसार यह कोई नया मामला नहीं है। रिकॉर्ड बताते हैं कि दिल्ली, गुरुग्राम, गाजियाबाद और लखनऊ से चोरी हुई गाड़ियां अक्सर सोसायटियों के बेसमेंट में हफ्तों या महीनों तक खड़ी मिलती हैं। कई बार ये गाड़ियां चोरी, झपटमारी या डकैती जैसे अपराधों में इस्तेमाल होने के बाद यहां छोड़ दी जाती हैं, जब तक कोई निवासी संदेह न जताए।
समस्या की वजहें भी साफ हैं।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “सैकड़ों फ्लैट और लगातार आने-जाने वालों की वजह से कोई भी व्यक्ति चोरी की गाड़ी को स्टिकर लगाकर महीनों पार्क कर सकता है, और किसी को पता भी नहीं चलता।”
पुराने वाहन डेटा अपडेट न करना, डिजिटल एंट्री सिस्टम का दुरुपयोग और किरायेदारों का अधूरा सत्यापन इस खतरे को और बढ़ा रहा है।
इंदिरापुरम RWA के अध्यक्ष राजीव कुमार का कहना है, “1,000 से अधिक फ्लैट वाले टावरों में पता लगाना लगभग असंभव है कि कौन-सी गाड़ी किसकी है। रिकॉर्ड समय पर अपडेट ही नहीं होते।”
MyGate और NoBrokerHood जैसे ऐप तो हैं, लेकिन कई सोसायटियों में वाहन रिकॉर्ड समय पर अपडेट नहीं किए जाते और मालिक बदलने पर भी पुराने स्टिकर हटाए नहीं जाते। राजनगर एक्सटेंशन के SG Grand के AOA सदस्य भूपेंद्र नाथ के अनुसार, “कई बार महीनों पहले बेची गई कारें भी स्टिकर के कारण अंदर प्रवेश कर जाती हैं।”
सुरक्षा जोखिम वास्तविक हैं। एक मामले में, तीन महीने से बेसमेंट में खड़ी गाड़ी का इस्तेमाल चोरी के बाद फरार होने के लिए किया गया—न तो निवासी और न ही गार्ड इसे पहचान सके।
पुलिस की सख्ती: छोड़ी गई गाड़ियों की होगी पहचान
नोएडा ADCP शव्य गायल ने बताया कि थानों को इलाके में खड़ी छोड़ी गई गाड़ियों की सूची तैयार करने का आदेश दिया गया है। लंबे समय से खड़ी कारों और दोपहिया वाहनों को परिवहन और अपराध रिकॉर्ड से मिलान किया जाएगा।
बीट पुलिस, ट्रैफिक पुलिस और RWA प्रतिनिधियों की टीम घर-घर जाकर संदिग्ध वाहनों का रिकॉर्ड मिलाएगी। जिन गाड़ियों की वैध जानकारी नहीं मिलेगी, उन्हें जब्त किया जाएगा।
यह अभियान चरणों में चलेगा—पहले केंद्रीय नोएडा की बड़ी सोसायटियों से शुरू होकर ग्रेटर नोएडा वेस्ट, औद्योगिक क्षेत्रों और यमुना एक्सप्रेसवे तक विस्तार होगा।
सोसायटियों में भी कड़े नियम
एक्सोटिका फ़्रेस्को AOA के महासचिव सुरोजित दासगुप्ता ने बताया, “मेहमान वाहन लाने से पहले निवासियों को सूचना देनी होती है। नाइट गार्ड बिना स्टिकर वाली कारों को तुरंत रिपोर्ट कर रहे हैं।”
पुलिस के अनुसार सफलता तभी संभव है जब RWA और निवासी सक्रिय सहयोग दें।
निवासियों को सलाह दी गई है कि वे अपनी कारें महीनों यूं ही खड़ी न छोड़ें।
नोएडा एक्सटेंशन के निवासी विनीत मेहरा ने कहा, “हमारी सोसायटी में चार से ज्यादा गाड़ियां एक साल से नहीं हिली हैं। कुछ की नंबर प्लेट भी नहीं है। कार्रवाई होना जरूरी है।”
हालांकि कुछ लोगों ने आगाह किया कि अगर कोई महीनों बाहर गया हो, तो उसकी धूल जमा गाड़ी को संदिग्ध न माना जाए।
पुलिस कमिश्नर कार्यालय को साप्ताहिक प्रगति रिपोर्ट भेजी जाएगी और ACP रैंक अधिकारी अभियान की निगरानी करेंगे। साथ ही RWAs के रिकॉर्ड को एक डिजिटल पोर्टल से जोड़ने का प्रस्ताव दिया गया है ताकि संदिग्ध वाहनों को तुरंत चिन्हित किया जा सके।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “कई महीनों से न हिली गाड़ी किसी अपराध कड़ी का हिस्सा भी हो सकती है। हम सुनिश्चित करना चाहते हैं कि नोएडा या गाजियाबाद का कोई कोना चोरी की गाड़ियों का ठिकाना न बने।”