क्यों मनाते है बुद्ध पूर्णिमा जानिए महत्व और व्रत विधि
हिंदू कैलेंडर के अनुसार वैशाख मास की पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है. इस वर्ष बुद्ध पूर्णिमा 26 मई 2021 को मनाई जाएगी. इस दिन भगवान विष्णु के 9वें अवतार भगवान बुद्ध को बुद्धत्व की प्राप्ति हुई थी. यह दिन भगवान बुद्ध की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है. आज विश्व भर में बौद्ध धर्म को मानने वाले 50 करोड़ से भी अधिक लोग है. भारत में हिंदू धर्म के अनुयायी भी इस जयंती को मानते है, दरअसल भगवान बुद्ध विष्णु जी के ही अवतार है इसलिए हिंदू और बुद्ध धर्म के लोग इस दिन को उत्सव के रूप में मनाते है.
बुद्ध पूर्णिमा का महत्व
यदि पौराणिक कथाओं की मानें तो जब सिद्धार्थ अपने ग्रहस्त जीवन को त्याग कर 7 सालों तक वन में इधर उधर भटक कर ज्ञान की खोज कर रहे थे, तब उन्हें वैशाख पूर्णिमा के दिन ही ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. इसी दिन सिद्धार्थ यानी भगवान बुद्ध का जन्म भी हुआ था. भगवान बुद्ध को बोधि वृक्ष के नीचे ही बोधत्व ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. और यह बोधि वृक्ष बोधगया में स्थित है. इसी कारण से भारत के बिहार में बोधगया नामक स्थान हिंदू वा बुद्ध धर्म के लोगों के लिए एक पवित्र धर्म स्थल है.
बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए बुद्ध पूर्णिमा सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता। वह लोग इस दिन के पर्व की तरह मनाते हैं. इस दिन अनेक प्रकार के समारोह आयोजित किए गए हैं. अलग-अलग देशों में वहां की रीति- रिवाजों और संस्कृति के अनुसार समारोह आयोजित होते हैं.
वैशाख पूर्णिमा का पूजा मुहूर्त और व्रत विधि
25 मई रात्रि 8 बजे से पूर्णिमा तिथि प्रारंभ होकर अगले दिन 26 मई शाम 4:40 बजे तक रहेगी।
सर्वप्रथम ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करें उसके बाद सम्पूर्ण व्रत रखने का संकल्प करें। किसी पवित्र नदी, तालाब इत्यादि में स्नान करना शुभ है और स्नान के पश्चात वरुण देव को प्रणाम करें। स्नान के उपरांत सूर्यदेव को अर्घ्य दें, मधुसूदन की पूजा और नैवेद्य अवश्य अर्पित करें।
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