भारतीय स्त्रियां क्यों रखती है वट सावित्री व्रत, महत्व और पूजा विधि
हिंदू धर्म में महिलाएं कई तरह के व्रत रखती है, इन व्रतों में कई व्रत ऐसे होते है जिन्हें वह अपने पति की दीर्घायु के लिए रखती है. ऐसा ही एक व्रत है वट सावित्री व्रत. यह व्रत महिलाएं द्वारा जेष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को रखा जाता है. इस दिन सभी सुहागन महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करती है और अपनी पति की दीर्घायु की कामना करती है. वट वृक्ष को हम बरगद का पेड़ भी कहते है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जब सावित्री के पति की मृत्यु हुई थी, उस समय वट वृक्ष ने ही उनके पति को अपनी जटाओं में सुरक्षित रखा था. यह भी मान्यता है कि वट वृक्ष में त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है. इसीलिए इस व्रत में बरगद के पेड़ की पूजा करने से पति की दीर्घायु और कुशल स्वस्थ की कामना की जाती है.
इस प्रकार करें वट सावित्री व्रत की पूजा
इस वर्ष वट सावित्री व्रत 10 मई 2021 को मनाया जाएगा. इस दिन सभी सुहागन महिलाएं सुबह उठकर ब्रह्ममुहूर्त में स्नान करने के बाद मन में व्रत का संकल्प लें और उसके बाद पूजा करने से पहले सोलह श्रृंगार कर नए वस्त्र धारण करें. इसके बाद पूजा की सामग्री एकत्रित करें जैसे– धूप,दीप, रोली, कलावा, भीगे हुए चने, सिंदूर आदि. इन सभी सामग्री को एक थाल में सजा कर एक बरगद के पेड़ के पास चली जाए. वहां जाकर पहले वट वृक्ष के पास की सतह को साफ कर लें और उसके बाद एक जगह उस पूजा की सामग्री का थाल रख दें. फिर वहां पर सत्यवान और सावित्री की एक तस्वीर रख कर उनकी पूजा करें उसके बाद वट वृक्ष की पूजा करें, और वट वृक्ष पर कलावा बांध कर 5,7,11,51,108 परिक्रमा करें। इसके बाद माता सावित्री का ध्यान करें और पति की लंबी उम्र की कामना करें।
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