महाभारत युद्ध के दौरान किसे प्राप्त हुई थी दिव्य दृष्टि, जिन्होंने महाराज धृतराष्ट्र को बताया युद्ध भूमि का हाल

 
महाभारत युद्ध के दौरान किसे प्राप्त हुई थी दिव्य दृष्टि, जिन्होंने महाराज धृतराष्ट्र को बताया युद्ध भूमि का हाल

जब भी महाभारत का जिक्र होता है हम तब तक संजय को याद करते है। महाभारत में संजय वही किरदार हैं जिन्होंने दिव्य दृष्टि के चलते धृतराष्ट्र को पूरे महाभारत का वर्णन किया था।

महाभारत के संजय महर्षि वेदव्यास के शिष्य थे, वह धृतराष्ट्र की राज्यसभा में भी शामिल थे। संजय बेहद ही विद्वान थे वह एक सूत पुत्र थे और जाति से बुनकर थे। संजय को धृतराष्ट्र ने महाभारत युद्ध से ठीक पहले पांडवों के पास बातचीत करने के लिए भेजा था। बातचीत के बाद महाराज धृतराष्ट्र को संजय ने आकर युधिस्टर का संदेश सुनाया था। संजय प्रभु श्रीकृष्ण के परम भक्तों में से भी एक थे, बेशक वह धृतराष्ट्र के मंत्री थे इसके बाद भी पांडवों के प्रति उनकी सहानुभूति हमेशा रहती थी।

महाभारत में संजय की भूमिका

संजय राजा धृतराष्ट्र के मंत्रिमंडल में होने के कारण धृतराष्ट्र को हमेशा समय-समय पर सलाह देते रहते थे। जब पांडव दूसरी बार जुए में हारे थे और 13 साल के बनवास पर गए थे, उस समय संजय ने धृतराष्ट्र को चेतावनी दी थी कि शायद यह कुरु वंश के नाश का समय शुरू हो रहा है।

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संजय वही व्यक्ति थे जो महल में बैठकर महाराज धृतराष्ट्र को महाभारत के युद्ध भूमि में होने के सभी दृश्यों को बताते थे। संजय को महर्षि वेदव्यास से दिव्य शक्ति प्राप्त थी, जिसके चलते संजय महाराज धृतराष्ट्र को महल में बैठकर ही महाभारत का पूरा वर्णन करते थे। संजय को विश्व के पहला कमेंटेटर के रूप में भी देखा जाता है।

संजय को दिव्य दृष्टि मिलने का कोई वैज्ञानिक आधार महाभारत तथा बाद के ग्रंथि में नहीं मिलता। इसे महर्षि वेदव्यास का चमत्कार ही माना जाता है।

महाभारत के युद्ध के बाद कई सालों तक संजय युधिष्ठिर के राज्य में रहे। इसके बाद वह धृतराष्ट्र, गांधारी और कुंती के साथ सन्यास ले कर चले गए। हिंदू धर्म के पौराणिक ग्रंथों के अनुसार धृतराष्ट्र की मृत्यु के बाद संजय हिमालय चले गए थे।

जब भी महाभारत का जिक्र होता है हम तब तक संजय को याद करते है। महाभारत में संजय वही किरदार हैं जिन्होंने दिव्य दृष्टि के चलते धृतराष्ट्र हो पूरा महाभारत का वर्णन किया था।

महाभारत के संजय महर्षि वेदव्यास के शिष्य थे, वह धृतराष्ट्र की राज्यसभा में भी शामिल थे। संजय बेहद ही विद्वान थे वह एक सूत पुत्र थे और जाति से बुनकर थे। संजय को धृतराष्ट्र ने महाभारत युद्ध से ठीक पहले पांडवों के पास बातचीत करने के लिए भेजा था। बातचीत के बाद महाराज धृतराष्ट्र को संजय ने आकर युधिस्टर का संदेश सुनाया था। संजय प्रभु श्रीकृष्ण के परम भक्तों में से भी एक थे, बेशक वह धृतराष्ट्र के मंत्री थे इसके बाद भी पांडवों के प्रति उनकी सहानुभूति हमेशा रहती थी।

संजय राजा धृतराष्ट्र के मंत्रिमंडल में होने के कारण धृतराष्ट्र को हमेशा समय-समय पर सलाह देते रहते थे। जब पांडव दूसरी बार जुए में हारे थे और 13 साल के बनवास पर गए थे, उस समय संजय ने धृतराष्ट्र को चेतावनी दी थी कि शायद यह कुरु वंश के नाश का समय शुरू हो रहा है।

संजय वही व्यक्ति थे जो महल में बैठकर महाराज धृतराष्ट्र को महाभारत के युद्ध भूमि में होने के सभी दृश्यों को बताते थे। संजय को महर्षि वेदव्यास से दिव्य शक्ति प्राप्त थी, जिसके चलते संजय महाराज धृतराष्ट्र को महल में बैठकर ही महाभारत का पूरा वर्णन करते थे। संजय को विश्व के पहला कमेंटेटर के रूप में भी देखा जाता है।

संजय को दिव्य दृष्टि मिलने का कोई वैज्ञानिक आधार महाभारत तथा बाद के ग्रंथि में नहीं मिलता। इसे महर्षि वेदव्यास का चमत्कार ही माना जाता है।

महाभारत के युद्ध के बाद कई सालों तक संजय युधिष्ठिर के राज्य में रहे। इसके बाद वह धृतराष्ट्र, गांधारी और कुंती के साथ सन्यास ले कर चले गए। हिंदू धर्म के पौराणिक ग्रंथों के अनुसार धृतराष्ट्र की मृत्यु के बाद संजय हिमालय चले गए थे।

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