भारतीय स्त्रियों द्वारा माथे पर बिंदी और तिलक लगाने के पीछे की वजह, आखिर क्यों बिंदी को माना जाता है सुहागिन होने की निशानी

 
भारतीय स्त्रियों द्वारा माथे पर बिंदी और तिलक लगाने के पीछे की वजह, आखिर क्यों बिंदी को माना जाता है सुहागिन होने की निशानी

हिंदू धर्म में प्राचीन काल से ही स्त्रीयों और पुरुषों के माथे पर बिंदी और तिलक लगाने की परंपरा है. बिंदी और तिलक का माथे पर होना शास्त्रों के अनुसार शुभ माना जाता है. किसी धार्मिक समारोह में आगंतुकों का स्वागत सत्कार तिलक लगाकर किए जाने की परंपरा है. विवाह या शुभ कार्य में स्त्रियां एक दूसरे का स्वागत हल्दी कुमकुम लगाकर करती हैं.

सनातन संस्कृति में पूजन, भक्ति, संस्कार विधि, मांगलिक आयोजनों, यात्रा गमन आदि का श्रीगणेश करते वक्त माथे पर तिलक लगाकर उसे अक्षत से विभूषित किए जाने का विधान है. हल्दी, कुमकुम, चंदन, विभूति को सनातन धर्म में सबसे शुभ माना गया है इसीलिए इन्ही का तिलक किया जाता है.

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सुहागिन होने की निशानी

भारतीय हिंदू प्राचीन धार्मिक ग्रंथों में ललाट यानी माथे पर पुरुषों द्वारा तिलक एवं महिलाओं द्वारा बिंदी लगाने के अनेक लाभों का उल्लेख मिलता है. तिलक और बिंदी लगाने के वैज्ञानिक फायदों पर वैज्ञानिकों द्वारा कुछ शोध भी किए गए हैं. इन शोध में तिलक अथवा बिंदी से प्राप्त फायदों का वर्णन किया गया है.

ज्योतिष के अनुसार लाल रंग शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है. इसलिए कुमकुम या बिंदी लाल रंग की होती हैं.

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