हिंदू धर्म में महिलाएं माथे पर क्यों लगाती है कुमकुम, जानिए इसके पीछे का वैज्ञानिक कारण
हिंदू धर्म और भारतीय संस्कृति के अनुसार पुरुष और महिलाओं को प्रतिदिन कुछ नियमों का पालन करना होता है जिससे की उनका स्वास्थ्य सही बना रहे. भारतीय चिकित्सा विज्ञान आयुर्वेद में शरीर के रोगों की पकड़ नाड़ी, शरीर के चक्र, ध्यान एवं एक्यूप्रेशर आदि विधियों द्वारा की जाती है.
भारतीय धर्म और संस्कृति के अनुसार धर्म में कुमकुम के टीके और बिंदी का अधिक महत्व है. महिलाओं को प्रतिदिन पूजा करने से पूर्व अपने माथे पर कुमकुम की बिंदी लगाना और बालों में सीधी मांग निकलकर कुमकुम या सिंदूर से भरनी होती है. इसको शास्त्रों के अनुसार शुभ माना जाता है वहीं विज्ञान के अनुसार इसका अलग महत्व है. चूँकि इन दो स्थानों पर स्थित चक्र के संतुलित रहने पर शरीर स्वस्थ रहता है. इसी कारण इसे स्त्रियों के सुहाग एवं पूजा के नियमों से जोड़ दिया गया. ताकि लोग इसका पालन करते रहें. फलस्वरूप स्वस्थ एवं खुशहाल जीवन हो. आइये जाने कुमकुम लगाने के वैज्ञानिक कारण क्या हैं ?
इसलिए महिलाएं माथे पर लगाती है कुमकुम
माथे के बीच में स्थित चक्र को तीसरी आँख या आज्ञा चक्र कहते हैं. इस चक्र के सक्रीय होने से अंतर्दृष्टि के प्रति जागरूकता बढ़ती है, मन शांत होता है, ध्यान केंद्रित रहता है. जिससे शरीर एवं मन रोग मुक्त बना रहता है. इस चक्र को सक्रिय रखने के लिए ही हम माथे के मध्य में कुमकुम का टीका या बिंदी लगाते है. दरअसल इस चक्र को सक्रिय करने के लिए कुछ समय तक इस पर प्रेशर बनाने की या ध्यान केंद्रित करने की जरूरत होती है. लाल रंग के टीके के कारण आपका एवम अन्य व्यक्तियों का भी इस पर ध्यान केंद्रित होता है वहीं जब आप बिंदी या टीका लगाते है तो उस समय कुछ देर के पिए इस पर प्रेशर भी पढ़ता है जिससे यह सक्रिय रहता है.
माँग में कुमकुम लगाने का वैज्ञानिक कारण
हिन्दू धर्म में विवाहित महिलाओं द्वारा बालों के बीच से सीधी मांग निकालकर कुमकुम या सिन्दूर लगाने की परम्परा है. इसका सीधा सम्बन्ध पिट्यूटरी ग्लैंड की सक्रियता को नियंत्रित करने से है. ये ग्लैंड सिर में सीधी मांग निकालने के स्थान पर स्थित नर्व से जुड़ी होती है. जिस पर सिन्दूर लगाने से रोज़ प्रेशर पड़ने के कारण सक्रीय रखने में मदद मिलती है.
ये ग्लैंड मस्तिष्क में होने के कारण शरीर की अन्य ग्रंथियों से निकलने वाले हार्मोन की सक्रियता को नियंत्रित करती है. जिसके कारण शरीर की हड्डियाँ का निर्माण, एस्ट्रोजन हार्मोन, प्रोलाक्टिन हरमोन जो स्त्रियों के गर्भधारण में अहम भूमिका निभाती हैं, संतुलित रहती हैं.
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