शुक्रवार व्रत: मां संतोषी व्रत की विधि, महत्व एवं कथा

 
शुक्रवार व्रत: मां संतोषी व्रत की विधि, महत्व एवं कथा

हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां संतोषी को एक देवी माना जाता है. जिनकी पूजा शुक्रवार के दिन की जाती है. मां संतोषी के पिता गणपति और माता रिद्धि-सिद्धि है. इनकी पिता गणपति की कृपा से दरिद्रता, कलह का नाश, सुख-शांति, संतान प्राप्ति, व्यापार में लाभ आदि मन की सभी कामनाएं पूरी होती हैं. मानव जीवन मे आने वाले शोक, विपत्ति, चिंता सब दूर होती है. संतोषी माता का नाम लेने से सब काम बन जाते हैं. मां संतोषी के व्रत करने से पहले यह ध्यान रखना है कि इस व्रत में खट्टे पदार्थों का सेवन वर्जित है.

विधि एवं महत्व

शुक्रवार के दिन मां संतोषी के सोलह शुक्रवार विधि पूर्वक व्रत पूर्ण करने पर शुभ फल की प्राप्ति होती है.

-व्रत वाले दिन सुबह स्नान करके, साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें. फिर व्रत का संकल्प लें.
-एक पवित्र स्थान पर मां संतोषी की प्रतिमा स्थापित करें.
-और साथ ही एक ताबे का कलश चलते भरकर रखें. उस कलश के ऊपर एक कटोरी में गुड़ व चना रखें.
-मां का विधि-विधान से पूजन करें.
-कथा सुने और दूसरों को सुनाएं. कथा समाप्त होने पर आरती करें.
-उसके बाद कलश में रखा जल पूरे घर में छिड़के और बचा हुआ जल तुलसी पर चढ़ा दें.
-पूजन विधि समाप्त होने पर सभी को प्रसाद बांटें व स्वयं प्रसाद ग्रहण करें.
-और इस दिन एक समय भोजन करना चाहिए.
-इस दिन घर में कोई खटाई का सामान ना बनाएं. व्रत करने वाला ना तो स्वयं खटाई खाए और ना ही किसी अन्य को खिलाएं.
-जितने शुक्रवार व्रत करने का संकल्प किया हो, वह समय पूरा होने पर विधि-विधान से उद्यापन करें.

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शुक्रवार की कथा

एक बार की बात है कि एक बुढ़िया और उसका बेटा एक साथ रहा करता था. बढ़िया ने कुछ दिनों बाद उसकी शादी करवा दी. वह उसकी बहू को तंग करने लगी. बेटे ने यह सब देखकर कहीं बाहर जाने का फैसला किया. और वह शहर चला गया. एक दिन बहू घर के काम से बाहर गई. वहां उसने मां संतोषी की पूजा देखी. और वह भी व्रत व पूजा करने लगी. जिसके प्रभाव से उसके पति की चिट्ठी व पैसे आने लगे. बहू ने मां संतोषी से प्रार्थना में कहा कि हे मां जब मेरे पति घर आ जाएंगे. तब मैं उद्यापन करूंगी. उसकी यह मन्नत भी पूरी हो गई. और कुछ दिनों बाद पुत्र की प्राप्ति हुई और उनकी सारी परेशानियां समाप्त हो गई.

जो जातक शास्त्र विधि के अनुसार श्रद्धा भाव के साथ संतोषी मां का पूजन करता है. और नियमों का पालन करता है मां संतोषी उसके सारे कार्य संपन्न करती हैं.

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