आखिर क्यों कहा जाता है हनुमान जी को संकटमोचन, जानिये इसके पीछे की अद्भुत कहानी
रामभक्त हनुमान, जिन्हें संकटमोचन हनुमान के नाम से दुनियाभर में भक्तों द्वारा जाना जाता है। रामायण काल से अपनी स्वामिभक्ति, बल और बुद्धिमत्ता के कारण हनुमान जी प्रसिद्ध हैं। अपने प्रिय भक्तों के समस्त संकटों को हरने वाले हनुमान को आखिर संकटमोचन के नाम से क्यों जाना जाता है? आज हम आपको बताते हैं क्या कारण है कि हनुमान को संकटमोचन कहा जाता है।
हनुमान जी को संकटमोचन क्यों कहा जाता है?
प्राचीन समय से ही रामभक्त हनुमान को भक्ति के सर्वोत्तम प्रतीक के रूप में माना जाता है। रामायण काल में हनुमान ने अपने स्वामी, भगवान राम की पत्नी सीता माता को रावण से बचाने के लिए लंका पर चढ़ाई कर दी थी। इसके अतिरिक्त जिस तरह उन्होंने बहादुरी से रावण की लंका में आग लगाई और अपनी स्वामिभक्ति का प्रमाण दिया, उससे उनकी बहादुरी का पता चलता है। उन्होंने भगवान राम के वनवास काल में उनके मार्ग में आने वाली समस्त बाधाओं और संकटों को दूर कर उनकी पग-पग पर सच्चे भक्त की भांति सहायता की। यह सब गुण उन्हें अन्य भक्तों से विशिष्ट बनाते हैं।
हनुमान भक्तों का मानना है कि जो भी भक्त सच्ची श्रद्धा एवं विश्वास के साथ हनुमान जी के समक्ष जाता है, तो हनुमान उनकी समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं। वे अपने भक्तों के सभी संकटों को दूर कर उनके जीवन को खुशहाली से भर देते हैं। इसीलिए उनके लिए कहा जाता है:
“संकट हरै मिटै सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।"
अर्थात जो भी भक्त, हनुमान को संकट के समय सच्चे मन से याद करता है, हनुमान उसके सारे संकटों को दूर कर देते हैं। चाहे भक्तों को किसी भी प्रकार का जटिल से जटिल संकट हो परन्तु ऐसा कभी नहीं होता कि हनुमान उनकी सहायता नहीं कर पाएं।
दुनिया में ऐसा कोई संकट, कोई दुःख नहीं है जिसका निवारण हनुमान जी के पास नहीं हो। हनुमान अत्यंत दयालु, विघ्नहर्ता, सुख-समृद्धि देने वाले एवं संकटों को दूर कर इस संसार रूपी भवसागर से हमें पार लगाने वाले हैं। इसी कारण भक्त उन्हें संकटमोचन के नाम से जानते हैं। इसीलिए हनुमान की उपासना एवं पूजन, संसार के समस्त संकटों से मुक्ति पाने का सर्वोत्तम उपाय है।
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