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Friday, March 31, 2023
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Basant Panchami 2022: बसंत पंचमी पर “माँ सरस्वती” की ही क्यों होती है पूजा?

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हिंदू धर्म में त्योहारों को बहुत उत्साह से मनाया जाता हैं, हर त्योहार के पीछे आज का वैज्ञानिक कारण भी होता हैं। सनातन धर्म शांति और सद्भावना से जीवन जीने की शैली हैं। अब इस साल 5 फरवरी को बसंत पंचमी का त्योहार आ रहा हैं, जो काफी हर्षोल्लास से मनाया जाने वाला हैं, वैसे तो यह त्योहार शैक्षणिक संस्थानो में मनाया जाता हैं। शैक्षणिक संस्थानों में विद्यार्थीयों पर माँ सरस्वती का आशीर्वाद सदैव बना रहे इसलिए अध्यापक सुबह-सुबह पूजा का आयोजन करते हैं।

बसंत पंचमी का त्योहार माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता हैं। मान्यता है कि इस दिन माँ सरस्वती की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े विद्यार्थियों के लिए इस दिन का अपना ही विशेष महत्व होता है। बसंत पंचमी के दिन से ही वसंत ऋतु का भी आगमन हो जाता हैं। वसंत ऋतु को सभी छह ऋतुओं में ऋतुराज के नाम से जाना जाता हैं। मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन ही माता सरस्वती का अवतरण यानि जन्म हुआ था। तो चलिए आपको बताते हैं की बसंत पंचमी को मां सरस्वती की आराधना क्यों की जाती हैं और बसंत पंचमी का शुभ मुहूर्त और उसका महत्व क्या हैं।

ऐसी मान्यता है की बसंत पंचमी के ही वो दिन था जब वेदों की देवी प्रकट हुई थीं, इसलिए इस दिन को शिक्षा या कोई अन्य नई कला शुरू करने के लिए बेहद शुभ माना जाता हैं। इस दिन विशेष रूप से साधकों को अपने घर में सरस्वती यंत्र स्थापित करना चाहिए। यदि आपके बच्चे का पढ़ाई में मन नहीं लगता है, यदि आपके जीवन में निराशा का भाव है तो बंसत पंचमी के दिन मां सरस्वती का पूजन अवश्य करें। इससे आपकी सभी समस्याओं का निवारण हो जाएगा।

Basant panchami 2022
Image credit:- pixabay.com

शास्त्रों एवं पुराणों कथाओं के अनुसार बसंत पंचमी और सरस्वती पूजा को लेकर एक बहुत ही रोचक कथा है। पौराणिक कथा के अनुसार, सृष्टि के प्रारंभ में भगवान विष्णु की आज्ञा से ब्रह्मा ने मनुष्य की रचना की थी। हालांकि अपनी इस रचना से ब्रह्मा जी बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं थे। उदासी से सारा वातावरण शांत सा हो गया था। यह देखकर ब्रह्माजी ने अपने कमण्डल से जल छिड़का। उन जलकणों के पड़ते ही पेड़ों से एक शक्ति उत्पन्न हुई जिनके एक हाथ में वीणा और दूसरे हाथ में पुस्तक थी। उनके तीसरे हाथ में माला और चौथा हाथ वरद मुद्रा में था। जैसे ही उस देवी ने वीणा की मधुर तान छेड़ी सृष्टि की प्रत्येक वस्तु को आवाज मिल गई। इसलिए इन्हें देवी सरस्वती के रूप में नामित किया गया। चूंकि इस दिन माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी थी। इसलिए बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा की जाने लगी।

बसंत पंचमी तिथि और शुभ मुहूर्त
पंचमी तिथि आरंभ: 05 फरवरी, शनिवार, प्रातः 03:48 बजे से
पंचमी तिथि समाप्त: 06 फरवरी, रविवार प्रातः 03:46 बजे पर
सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त: 05 फरवरी प्रातः 07:19 मिनट से दोपहर 12:35 मिनट तक
सरस्वती पूजा मुहूर्त की कुल अवधि: 05 घंटे और 28 मिनट

यह भी पढ़े: Basant Panchami 2022: इस दिन भूलकर भी ना करें ऐसा काम, देवी सरस्वती हो जाएंगी रुष्ठ

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Deepak Prajapat
Deepak Prajapathttp://hindi.thevocalnews.com
दीपक प्रजापत एक उभरते हुए पत्रकार हैं और The Vocal News Hindi में बतौर Sub-Editor कार्यरत हैं. उनकी रुचि पॉलिटिक्स, स्पोर्ट्स और बिजनेस जैसे विषयों में हैं और इन विषयों पर वह काफी समय से लिखते आ रहे हैं. उन्होंने अपनी जर्नलिज्म की पढ़ाई “चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय” से की हैं।
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