Chaitra Navratri 2022: कन्या भोज ना कराने पर रुष्ट हो जाती है माता, जानिए नवरात्रि में क्यों खिलाया जाता है कन्याओं को भोजन...

 
Chaitra Navratri 2022: कन्या भोज ना कराने पर रुष्ट हो जाती है माता, जानिए नवरात्रि में क्यों खिलाया जाता है कन्याओं को भोजन...

Chaitra Navratri 2022: हिन्दू धर्म में नवरात्रि की बहुत मान्यता है. नवरात्रि के नौ दिन भक्त मां आदिशक्ति की आराधना में लीन रहते हैं.

नवरात्रों में भक्त तरह-तरह के प्रयत्नों से मां दुर्गा को प्रसन्न करते हैं. मान्यता है कि नवरात्रि के अंतिम दिन यानी नवमी तिथि को कन्या पूजा व कन्या भोज अवश्य करना चाहिए.

कुछ लोग अष्टमी तिथि को भी कन्या भोज कराते हैं. आइये आज हम आपको इस लेख में बताते हैं.

कि नवरात्रि में कन्या भोज व कन्या पूजा करना क्यों आवश्यक है. इसकी विधि क्या है, महत्व क्या है और कितनी कन्याओं को भोज कराना चाहिए.

https://youtu.be/g9ETuaYyzwM

नवरात्रि में कन्या भोज

  • नवरात्रि की नवमीं तिथि को मां सिद्धिदात्री की पूजा के बाद कन्या भोज किया जाता है. कई लोगों के यहां अष्टमी तिथि को ही कन्या भोज की मान्यता होती है.
  • हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार कन्या पूजन में 09 कन्याओं का होना आवश्यक होता है. क्योंकि हर कन्या का अपना-अलग महत्व और पुण्य होता है.
  • कन्या पूजन हमारी संस्कृति में प्राचीनकाल से चलता आया है.
  • कन्या पूजन या कन्या भोज में 10 वर्ष तक की कन्याओं को मां आदिशक्ति का स्वरूप मानकर उनकी पूजा की जाती है. इस परम्परा को कुमारी पूजन के नाम से भी जाना जाता है.
  • यदि किसी व्यक्ति ने नवरात्रों के पूरे व्रत रखें हैं. और अंत में वह कन्या पूजन/भोज नहीं करता, तो माना जाता है उसे नवरात्रि व्रत का पूरा फल नहीं मिलता है.

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कन्या पूजन विधि

  • सुबह जल्दी उठकर माता की उपासना करने के बाद, खीर, पूड़ी, हलवा इत्यादि का प्रसाद तैयार करें.
  • कन्याओं को आमंत्रित कर शुद्ध जल से उनके चरणों को धोएं.
  • कन्याओं को तैयार किया गया प्रसाद परोसने से पूर्व मां आदिशक्ति का भोग लगाएं.
  • नौ कन्याओं के साथ एक छोटे बालक को भी भोजन कराना चाहिए. मान्यता है कि बालक भैरव बाबा और हनुमान जी का स्वरूप या लंगूर होता है.
  • भोज इत्यादि के पश्चात कन्याओं को श्रद्धानुसार दान देकर उन्हें स्नेहपूर्वक विदा कर दें.

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