Chaitra Navratri 2022: चैत्र नवरात्रि की नवमीं तिथि को कीजिए मां सिद्धिदात्री की उपासना, जानिए कथा और पूजा विधि
Chaitra Navratri 2022: नवरात्रों के नौ दिनों तक माता आदिशक्ति के नौ अलग-अलग स्वरूपों की आराधना की जाती है. आज चैत्र नवरात्रि की नवमीं तिथि है.
आज के दिन मां दुर्गा के नौवें स्वरूप सिद्धिदात्री माता की उपासना की जाती है. आइए आज हम आपको बताते हैं. मां सिद्धिदात्री की कथा, पूजा विधि और महत्व.
हम आशा करते हैं कि आपको यह लेख पसन्द आएगा.
मां सिद्धिदात्री की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव ने सिद्धिदात्री माता की कठोर तपस्या की थी. जिससे उन्होंने आठों सिद्धियों को प्राप्त किया.
माता सिद्धिदात्री की कृपा से भगवान शिव का आधा शरीर नारी का हो गया. और तभी से भगवान शिव का नाम अर्धनारीश्वर हो गया.
हमारे शास्त्रों के अनुसार देवी आदिशक्ति का यह स्वरूप सभी देवी-देवताओं के तेज से प्रकट हुआ है. बताया जाता है कि जब दैत्य महिषासुर ने देवताओं को परेशान कर दिया था.
तब देवता भगवान शिव और विष्णु जी के पास सहायता मांगने गए. तो वहां उपस्थित सभी देवगणों ने अपने-अपने तेज से एक दिव्य शक्ति का निर्माण किया. जिनका नाम मां सिद्धिदात्री है.
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पूजा विधि
- सुबह जल्दी उठकर स्नान इत्यादि से निर्वृत्त हो जाएं.
- मां सिद्धिदात्री की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं.
- सिद्धिदात्री देवी को श्वेत वस्त्र अर्पित करें.
- माता की प्रतिमा पर रोली कुमकुम का टीका लगाएं.
- मां सिद्धिदात्री की आरती करें और मिष्ठान, पंचमेवा इत्यादि का भोग लगाएं.
माता सिद्धिदात्री के पास हैं ये 8 सिद्धियां
अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व नामक आठ सिद्धियां मां सिद्धिदात्री देवी को प्राप्त हैं.
मां सिद्धिदात्री का श्लोक
या देवी सर्वभूतेषु मां सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।