Chaitra Navratri 2022: आज नवरात्रि के पंचम दिन कीजिए स्कंदमाता की पूजा, जानिए कथा और महत्व...

 
Chaitra Navratri 2022: आज नवरात्रि के पंचम दिन कीजिए स्कंदमाता की पूजा, जानिए कथा और महत्व...

Chaitra Navratri 2022: नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा के भक्त बड़े उत्साह से मनाते हैं. इन नौ दिनों में माता के नौ अलग-अलग स्वरूपों को आराधना की जाती है.

आज नवरात्रि का पांचवां दिन है. नवरात्रि का पांचवां दिन मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप स्कंदमाता को समर्पित है. आइये आज हम आपको स्कंदमाता से जुड़ी हुई कथा, पूजा विधि व महत्व बताते हैं.

स्कंदमाता की कथा

पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि तारकासुर नामक एक राक्षस हुआ करता था. जिसने ब्रह्माजी की कठोर तपस्या करके उन्हें प्रसन्न कर लिया था. ब्रह्माजी ने तारकासुर को दर्शन दिए तो उसने उनसे अमरता का वरदान मांग लिया.

ब्रह्माजी ने समझाया की जिसने इस संसार में जन्म लिया है, उसकी मृत्यु तो तय है. तो तारकासुर ने चतुरता दिखाते हुए भगवान शिव के पुत्र के हाथों मरने का वरदान मांग लिया.

WhatsApp Group Join Now

क्योंकि उसको लगा कि शिव जी का कभी विवाह नहीं होगा, विवाह नहीं होगा तो पुत्र भी नहीं होगा और पुत्र नहीं होगा यो उसकी मृत्यु भी नहीं होगी.

https://youtu.be/vJo6izCE-E0
Chaitra Navratri 2022

वरदान प्राप्त करने तारकासुर ने देवताओं को परेशान करना शुरू कर दिया. सभी शिव जी के पास जाकर तारकासुर नामक असुर से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना करने लगे.

तो शिव जी ने माता पार्वती से विवाह और उनके पुत्र कार्तिकेय का जन्म हुआ. और कार्तिकेय ने बड़े होकर तारकासुर का वध किया.

कार्तिकेय यानी भगवान स्कंद की मां होने के कारण पार्वती जी का नाम स्कंदमाता हो गया.

ये भी पढ़ें:- Chaitra Navratri 2022: नवरात्रि के नौ दिन धारण करें अलग-अलग वस्त्र, जानिए कौन-से दिन पहनने है किस रंग के कपड़े?

पूजा विधि और महत्व

यदि आपने नवरात्रि के पूरे व्रत रखें हैं. तो सुबह जल्दी उठकर स्नान इत्यादि करके, स्वच्छ वस्त्र धारण करें. घर के मंदिर या जहां पर अपने माता की स्थापना की हो, वहां पर माता की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं.

इसके बाद मां के पुष्प अर्पित करें. फिर मां को मिष्ठान व 5 प्रकार के फलों व 6 इलायची का भोग लगाएं. कलश में जल लें और कुछ सिक्के डाल दें.

माता की प्रतिमा को रोली-कुमकुम का तिलक लगाएं और विधिवत आरती करें. आरती के बाद प्रसाद वितरित कर दें.

मां स्कंदमाता का मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।।

Tags

Share this story