Chanakya Niti: बच्चों के साथ किस उम्र में करें कैसा व्यवहार? चाणक्य से जानें

 
Chanakya Niti: बच्चों के साथ किस उम्र में करें कैसा व्यवहार? चाणक्य से जानें

Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य की नीति बच्चों को अच्छे संस्कार माता-पिता से ही प्राप्त हो सकते हैं. चाणक्य के अनुसार माता-पिता का व्यवहार और उनकी बातें बच्चों को बहुत कुछ सिखाती हैं. माता पिता के व्यवहार के अनुरूप ही बच्चों का व्यवहार बनता है. इसीलिए माता-पिता का यह कर्तव्य है कि वह अपने बच्चों की अच्छी परवरिश के लिए कुछ ऐसे उपायों को अपनाएं जिससे उनका भविष्य को सफलता की ओर अग्रसर हो.

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जीवन के पहले गुरु माता-पिता ही होते हैं. बच्चों यूं तो हर माता-पिता अपने बच्चों को अच्छे संस्कार ही देते हैं. परंतु कभी-कभी जाने अनजाने में हमसे कुछ ऐसी गलतियां हो जाती हैं, जिसका सीधा असर हमारे बच्चों के संस्कारों पर पड़ता है.

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Chanakya Niti: बच्चों के साथ किस उम्र में करें कैसा व्यवहार? चाणक्य से जानें

चाणक्य नीति के अनुसार कैसे दें माता-पिता अपने बच्चों को अच्छे संस्कार

बच्चों के सामने माता-पिता को नहीं करना चाहिए दिखावा

आचार्य चाणक्य की नीतियों के अनुसार जैसा हम आचरण करते हैं वैसे ही हमारे बच्चे भी करते हैं. आचार्य चाणक्य की नीतियों के अनुसार माता व पिता को अपने बच्चों के सामने कभी दिखावा नहीं करना चाहिए. यदि माता-पिता किसी बड़े पद पर आसीन हैं तो उन्हें अपने पद का अहंकार अपने बच्चों के सामने पेश नहीं करना चाहिए ऐसा करने से वह अपने बच्चों को अहंकारी स्वभाव दे सकते हैं.

बच्चों के सामने हमेशा एक दूसरे को सम्मान करना चाहिए

बच्चों के सामने पति-पत्नी को हमेशा ही एक दूसरे का सम्मान करना चाहिए. आचार्य चाणक्य नीति के अनुसार बच्चों के सामने एक दूसरे का सम्मान करना माता-पिता के लिए बेहद जरूरी है. यदि आप अपने संतान के सामने एक दूसरे से झगड़ा करेंगे व एक दूसरे का अपमान करेंगे तो निसंदेह आपके बच्चों में बुरे संस्कार आएंगे और वह भी झगड़ा करने की प्रवृत्ति को अपना लेंगे. इसलिए बेहद जरूरी है कि आप अपने बच्चों के सामने प्रेम व्यवहार बनाए रखें.

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5 वर्ष की उम्र में दुलार के साथ डांट

चाणक्य नीति के अनुसार जब बच्चा 5 वर्ष का हो जाता है तब वह चीजों को समझना शुरू कर देता है. इस उम्र में यदि बच्चा कोई गलती करता है तो मां-बाप का यह कर्तव्य है कि वह उसे उसकी गलती का एहसास कराएं और प्यार से डांट लगाएं. ऐसा करने से आपका बच्चा धीरे-धीरे चीजों को कुछ इस तरीके से समझना शुरू करेगा.

जब बच्चे की आयु 10 वर्ष का हो

आचार्य चाणक्य के अनुसार, जब बच्चा 10 से 15 साल का होता है तब बच्चे जिद करने का स्वभाव बना लेता है अगर बच्चा गलत बात के लिए जिद्द करता है तो माता पिता को उसके साथ सख्ती के साथ पेश आना चाहिए.

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16 वर्ष की आयु में बच्चे को संस्कार

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जब बच्चे की उम्र 16 वर्ष की उम्र बेहद नाजुक होती है. इस दौरान माता-पिता को अपने बच्चे के साथ दोस्त का व्यवहार करना चाहिए. यदि बच्चा इस उम्र में कोई गलती करता है तो उसके साथ सख्ती से पेश ना आकर आप उसको एक दोस्त के नाते समझाने का प्रयास करें.

वाणी में सौम्यता बनाए रखें

जब भी आप अपने बच्चों को समझाने के लिए बैठे या उन्हें कोई बात बताएं तो उस समय आपकी वाणी में सौम्यता व मिठास अवश्य होनी चाहिए. जो माता-पिता मधुर वाणी के साथ बातचीत करते हैं उनके बच्चे अपने माता-पिता से बेहद प्रभावित होते हैं व उनकी हर बात को समझते हैं.

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