Chanakya Niti: इन चीजों के आगे आपके धन का नहीं है कोई महत्व, हमेशा करें इन बातों का पालन
Chanakya Niti: आजकल की दुनिया में हर किसी के लिए धन एक महत्वपूर्ण चीज बन चुकी है. जहां देखो वहां धन दौलत का बोलबाला है. लोग धन दौलत कमाने के लिए ना अपना देख रहे हैं ना पराया. लेकिन चाणक्य के अनुसार मानव जीवन में धन ही सब कुछ नहीं है. धन के अलावा मानव जीवन में नैतिक मूल्यों का भी विशेष महत्व है.
लोग दिन रात धन कमाने के लिए मेहनत किया करते हैं लेकिन चाणक्य ने कहा है कि धन की जितनी जरूरत हो आपको उतनी ही मेहनत करनी चाहिए. अधिक धन कमाने की होड़ भी आपके जीवन से कई बहुमूल्य चीजों को दूर कर सकती है.
आचार्य चाणक्य, जिन्होंने अपनी चाणक्य नीति में मानव जीवन से जुड़े हर एक पहलू को बताया है. अपनी इस नीति में चाणक्य ने तीन ऐसी चीजों के बारे में बताया है जिन्हें व्यक्ति को कभी भी नहीं खोना चाहिए. यदि आपके पास यह तीन चीजें नहीं है तो आप धनवान होने के बाद भी कंगाल ही रह जाएंगे.
प्रेम के आगे सब धन है व्यर्थ
आचार्य चाणक्य कहते हैं की धन और प्रेम में कोई भी तुलना नहीं की जा सकती है. प्रेम हमारा निश्चल स्वभाव अथवा प्रकृति का है. वही धन में लालच और घमंड का स्वभाव आ जाता है. प्रेम एक ऐसा धन है जिसे कमाया नहीं जा सकता है. आप अपने जीवन में चाहे कितना भी पैसा कमा लें, लेकिन यदि आपके पास किसी का प्रेम नहीं है तो आप सदा कंगाल ही नजर आएंगे. क्योंकि धन से प्रेम के रिश्तों को मजबूत नहीं बनाया जा सकता है.
धर्म के बिना व्यक्ति है निर्धन
जो लोग धन के लालच में अपने धर्म को छोड़ देते हैं वह लोग कभी भी अपने जीवन में धनवान नहीं बन सकते हैं. आप चाहे किसी भी धर्म के हो अपने धर्म के नियमों का पालन करना आपका कर्तव्य है. आपका धन आपकी भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकता है. लेकिन आपका धर्म आपकी आंतरिक अशुद्धियों का शुद्धिकरण करता है.
स्वाभिमान के बिना धनवान नहीं
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति अपने जीवन में चाहे कितना भी पैसा कमा लें, यदि उसने अपना स्वाभिमान खो दिया तो वह कभी भी उसे नहीं पा सकता है. स्वाभिमान एक ऐसी चीज है जिसे कितना भी धनवान व्यक्ति क्यों ना हो धन से नहीं खरीद सकता है. स्वाभिमान को पाना बेहद मुश्किल है. अपने आत्मसम्मान के लिए अगर आपको धन का त्याग करना पड़े तो संकोच नहीं करना चाहिए.
ये भी पढ़े:- सुबह उठकर सबसे पहले करें ये 4 काम, फिर जीवन भर मिलेगा आराम ही आराम