Char dham Yatra 2022: केदारनाथ समेत इन पंच केदार धामों की यात्रा से भी होते हैं, शिव जी के साक्षात दर्शन…
Char dham Yatra 2022: चार धाम की यात्रा शुरू होने के बाद वहां जाने वाले भक्तों का तांता लग चुका है. ऐसे में यदि आप भी चार धाम की यात्रा पर गए हैं, या जाने वाले हैं. तो आज हम आपको पंच केदार धामों का इतिहास बताने वाले हैं. पंच केदार देवभूमि स्थित भगवान शिव के पांच मंदिर हैं, जिनमें से केदारनाथ से आप सभी परिचित हैं. केदारनाथ के अलावा उत्तराखंड में भगवान शिव के चार विशेष मंदिर और हैं. जिनके नाम हैं तुंगनाथ, रुद्रनाथ, मध्यमहेश्वर और कल्पेश्वर. जिन्हें ही पंच केदार के नाम से जाना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पंच केदार मंदिरों की स्थापना महाभारत काल में पांडव भाइयों से कराई थी.
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मान्यता है कि पंच केदार में शिव जी के पांच अंग मौजूद हैं. तभी से इन शिव मंदिरों का विशेष महत्व है. जानकारी के लिए बता दें कि शिव जी के ये प्रसिद्ध पंच केदार मंदिर उत्तराखंड के गढ़वाल में स्थित हैं. जिनके इतिहास और धार्मिक महत्व के बारे में आज हम आपको विस्तार से बताएंगे, जिससे अगर आप चार धाम की यात्रा पर जाएं तो पंच केदार धामों की यात्रा करना ना भूलें.
यहां पढ़िए पंच केदार धामों के बारे में…
केदारनाथ मंदिर
पंच केदार धामों में सबसे शीर्ष पर केदारनाथ मंदिर का नाम आता है. जिसकी स्थापना पांडव भाइयों ने महाभारत काल में कराई थी. जिसके बाद 8वीं और 9वीं सदी में आदि शंकराचार्य ने दुबारा इसकी स्थापना कराई थी. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, केदारनाथ में शिव जी का कूबड़ निकला था, तभी से इसे शिव जी के पवित्र मंदिरों में से एक माना जाता है. जोकि उत्तराखंड के ऋषिकेश शहर से करीब 223 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यहां हर साल चार धाम की यात्रा पर आने वाले लोगों की भीड़ देखी जाती है. जिस मंदिर की विशेष धार्मिक मान्यता है.
तुंगनाथ
पंच केदार धामों में अब हम तुंगनाथ के बारे में जानेंगे. जिसे दूसरे पंच केदार की संज्ञा दी गई है. तुंगनाथ दुनिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर है. जहां भगवान शिव के हाथ बैल रूप में दिखाई दिए थे. तब महाभारत काल में पांडव भाइयों ने तुंगनाथ मंदिर की स्थापना कराई थी. तुंगनाथ मंदिर के आसपास ही चंद्रशिला पर्वत के शिखर पर राम जी ने शिव जी की घोर तपस्या की थी. तभी से इस मंदिर की विशेष धार्मिक महत्ता है. कहते हैं जो भी व्यक्ति एक बार जीवन में तुंगनाथ मंदिर के दर्शन कर लेता है, उसे जीवन में जन्म मरण और सुख दुख के बंधन से हमेशा के लिए छुटकारा मिल जाता है.
रुद्रनाथ
पंच केदार में अब तीसरे स्थान पर रुद्रनाथ का नाम आता है. हालंकि ये पूरा धाम बड़े बड़े पेड़ों और चारों तरफ से जंगल से घिरा हुआ है. मान्यता है कि इस पंच केदार की रक्षा देवी वंंदेवी करती हैं. इस धाम में शिव जी का चेहरा बैल के रूप में दिखाई पड़ा था, तभी यहां पांडवों ने शिव जी के मंदिर का निर्माण करवाया था. इस मंदिर में शिव जी के नीलकंठ अवतार की पूजा की जाती है. हालांकि शिव जी के इस धाम की यात्रा पर जाना काफी कठिन और चुनौती भरा है. लेकिन हर साल यहां भक्तों की भीड़ लगी रहती है. शिव जी के इस धाम से आपको आसानी से नंदा देवी और त्रिशूल चोटी के दर्शन हो सकते हैं.
मध्यमहेश्वर
पंच केदार धामों में चौथे स्थान पर आता है मध्यमहेश्वर धाम. जोकि उत्तराखंड के गढ़वाल में हिमालय पर्वत पर करीब 3497 मीटर ऊंचाई पर स्थित है. यहां मुख्य रूप से शिव जी के नाभि की पूजा की जाती है. इस मंदिर के गर्भगृह में एक नाभि के आकार का शिवलिंग भी मौजूद हैं. इस मंदिर के आसपास काफी हरियाली है, जिस कारण यहां का प्राकृतिक वातावरण ना केवल शिव भक्तों बल्कि पर्यटकों को भी लुभाता है. इस मंदिर से नीलकंठ, केदारनाथ मंदिर और चौखंभा की चोटियां भी देखने को भी मिलती हैं. जोकि इस मंदिर को और अधिक महत्वपूर्ण और आवश्यक बना देती हैं.
कल्पेश्वर
पंच केदार धामों में सबसे अंतिम कल्पेश्वर है, जहां शिव जी की जटाएं और सिर देखने को मिला था. ये धाम हिमालय की उर्गम घाटी से करीब 2200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. ये पंच केदार धामों में इकलौता ऐसा मंदिर है. जहां के दर्शन करने आप पूरे साल में कभी भी जा सकते हैं. यहां शिव जी के जटाधार रूप की आराधना की जाती है. जहां आप आसानी से जा सकते हैं.