Diwali 2022: दिवाली पर क्यों खेला जाता है जुआ, जानें असली वजह
Diwali 2022: हिंदू त्योहार दीपावली के दिन कई धार्मिक परंपराओं का पालन किया जाता है. जिसमें से जुआ खेलना भी दीपावली की परंपराओं के अंतर्गत आता है.
हालांकि जुआ खेलना एक सामाजिक बुराई मानी जाती है और सरकार द्वारा भी इस पर प्रतिबंध लगाया गया है. लेकिन इसके बावजूद दीपावली के पर्व पर जुआ खेलने की परंपरा सदियों से चली आ रही है.
दरअसल हिंदू धर्म के मुताबिक दीपावली पर जुआ खेलना एक शुभ शगुन माना जाता है. इसका संबंध देवताओं के साथ-साथ ऋग्वैदिक आर्यों से भी जुड़ा हुआ है. यही कारण है कि इस परंपरा का प्रचलन आज भी देश के कई हिस्सों में देखने को मिलता है.
आर्यों के आमोद प्रमोद का साधन था जुआ
कई धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है कि आर्य पुरुषों द्वारा आनंद के लिए जुआ का खेल खेला जाता था. जिसके विषय में ऋग्वेदकालीन ग्रन्थों में वर्णन मिलता है. इसके अतिरिक्त अथर्ववेद में भी बताया गया है,
कि जुआ पासों से खेला जाता था. वरुण देव के विषय में बताया गया है कि वह विश्व को ऐसे धारण करते हैं जैसे कोई जुआरी पासों से खेलता है. इस प्रकार अनेक ग्रंथों में जुए से संबंधित कई बातें मिलती हैं.
महाभारत काल से भी जुड़ा है जुए का संबंध
आपने महाकाव्य महाभारत के विषय में तो सुना ही होगा. इस महासंग्राम के पीछे का मुख्य कारण जुआ ही माना जाता है. जिसमें कौरवों द्वारा पांडवों को हराने के लिए जुए की साजिश रची गई. फिर धोखे से पांडवों को हराकर सारी संपत्ति हड़प ली गई.
इस प्रकार महाभारत का उदाहरण देकर लोग जुए की बुराई को परिलक्षित भी करते हैं. लेकिन इसके अलावा मौर्यकालीन में इस खेल का जिक्र भैवभ और विशालता को दिखाने के लिए किया गया है.
जुआ कहलाता था चौसर
साहित्य काल में जुए को ताश में शामिल किया गया है. हालांकि उस समय कौड़ी और पासे से जुआ खेला जाता था जिसे चौसर के नाम से भी जाना जाता था.
वात्स्यायन के कामसूत्र में भी जुआ आनंदपुर जीवन व्यतीत करने का एक तरीका माना गया है. इतिहासकारों के अनुसार शासक वर्ग अपनी पत्नियों के साथ बैठकर जुआ खेला करते थे.
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इस प्रकार, जुआ एक ऐसी प्रथा है जो प्राचीन समय से उच्च स्तर पर प्रचलित है. इस प्रथा को मानने वाले लोग आज भी जुए को बढ़-चढ़कर खेला करते हैं.
हालांकि इसके नकारात्मक परिणामों को देखते हुए सरकार द्वारा इस पर प्रतिबंध लगाया जाता है. लेकिन धर्म से जुड़े होने के कारण प्रशासन इस पर ज्यादा सख्त रुख नहीं दिखाती हैं.