क्या आपको पता है देवी देवताओं के वाहनों के नाम? जाने कौन है सबसे बुद्धिमान
हिंदू धर्म में देवी देवताओं को अधिक महत्व दिया जाता हैं. लोगों के लिए एक सच्ची आस्था का प्रतीक है देवी देवता. मगर आप क्या जानते है की प्रत्येक देवी देवता के पास अपने वाहन है. वैसे देखा जाए तो देवी देवताओं को वहां की कोई जरूरत नही है लेकिन देवी देवताओं के वहां का भी अलग महत्व है. मुख्य रूप से देवी देवताओं ने अपने वहां के रूप में किसी न किसी पशु पक्षी को ही चुना है.
एक पौराणिक कथा के अनुसार हिन्दू देवी देवता और उनके वाहनों के पीछे की कहानी बहुत ही रोचक है. धार्मिक ग्रंथो से पता चलता है कि एक बार सभी देवी देवता पृथ्वी पर विचरण करने आये थे. विचरण करते-करते वे थक गए थे, ऐसे में पृथ्वी के पशु पक्षी उन्हें अपना वाहन बनाने का अनुरोध करते हैं. जिसके बाद देवी देवता अपने वाहन का चुनाव करते हैं.
चलिए अब जानते है कि किस देवी देवता का वहां कौनसा पशु या पक्षी है.
सर्वप्रथम हम गणेश जी के वाहन की बात करेंगे. गणेश जी का वाहन है मूषक. मूषक को हम चूहा भी बुलाते है. मूषक का अर्थ होता है लूटना या चुराना. गणेश जी ने इस सवारी के ऊपर बैठ कर इस बात का संकेत दिया है कि जो भी व्यक्ति स्वार्थ भाव रखेगा उसके ऊपर हमेशा दिक्कतों साया रहेगा.
अब बात करते है विष्णु जी की सवारी की. भगवान विष्णु का वाहन है गरुण. आपको बता दे कि गिद्दो की सबसे बुद्धिमान और ताकतवर प्रजाति को गरुण के नाम से जाना जाता है. गरुण प्रजापति कश्यप की पत्नी विनीता के पुत्र है. गरुण जी भगवान विष्णु की शरण में चले गए थे और तभी से वह विष्णु जी के वाहन है.
अब जानते है मां लक्ष्मी का वाहन कौन है? माँ लक्ष्मी का वाहन उल्लू है, जो कर्म का बोध कराता है. ऐसा माना जाता है कि माँ लक्ष्मी हर वर्ष कार्तिक आमावश्या को पृथ्वी पर विचरण करने आती हैं. अँधेरे में उल्लू ने उन्हें सबसे पहले देखा और खुद को अपना वाहन बनाने का अनुरोध किया तब से उल्लू भी उनका वाहन बन गया.
मां सरस्वती जिन्हे ज्ञान की देवी कहा जाता है उनका वाहन है सफेद हंस. हंस एक समझदार, जिज्ञासु पक्षी है. इसको परिवार में प्रेम और एकता का प्रतीक माना जाता है क्योंकि यह जीवन भर एक ही हंसनी के साथ रहता है. ज्ञान से ही जीवन में पवित्रता और नैतिकता आती है इसीलिए मां सरस्वती ने सफेद हंस को अपनी सवारी के लिए चुना.
अब जानते है महादेव यानी भगवान शिव के वाहन के बारे में. महादेव के गण और भक्त नंदी बैल ही उनके वाहन है. भोलेनाथ सदैव नंदी पी सवार होकर ही जाते है. मां गौरा के साथ विवाह के लिए भी शिव जी नंदी पर सवार होकर गए थे.
मां दुर्गा का वाहन है शेर, इसीलिए मां दुर्गा को हम शेरावाली मां भी कहते है.
मां गौरा का वाहन है बाघ. बाघ साहस, क्रूरता, अक्रमत्का और शौर्य का प्रतीक है यही तीनों विशेषताएं मां गौरा की भी है इसीलिए मां ने बाघ को अपनी सवारी के लिए चुना.
कार्तिकेय जी कहा वाहन है मयूर. मयूर को हम मोर भी कहते है यह भारत का राष्ट्रीय पक्षी भी है. भगवान कार्तिकेय के साथ साथ मयूर भगवान मुरुगन का भी वाहन हैं.
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