Dusshera 2022: इस गांव में जलाया नहीं बल्कि पूजा जाता हैं रावण, यहां होता है अनोखा दशहरा
Dusshera 2022: दशहरा का उत्सव हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है. जिसे भारतवर्ष में विजयादशमी के पर्व के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन समस्त स्थानों पर रावण दहन किया जाता है. जिसे बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न माना जाता है.
हालांकि विजयादशमी के पावन पर्व पर राम जी द्वारा रावण का वध किया गया था. जिसके अनुरूप इस दिन हर वर्ष नाटक या मेला आयोजनों में रावण का पुतला फूंक जाता है. हम सभी ने आज तक यही सुना है कि रावण एक राक्षस था. निसंदेह वह ज्ञानी व शक्तिशाली ब्राह्मण भी था.
लेकिन उसके इसी अंहकार और बुराई के चलते उसका कभी पूजन नहीं किया जाता है. यही कारण है कि भारत में कहीं भी रावण को पूजनीय नहीं माना जाता है. ऐसे में यह सुनकर आपको काफी हैरानी होगी कि भारत में एक जगह ऐसी भी जगह है जहां पर रावण का पुतला फूंकना शुभ नहीं माना जाता है.
रावण की जन्मभूमि
ऐसा माना जाता है कि रावण का जन्म उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर जिले के बिसरख गांव में हुआ था. जिसके चलते यहां के लोग रावण को अपना पूर्वज भी मानते हैं. यहां रावण का एक मंदिर भी बनाया गया है.
जहां स्थानीय लोग द्वारा रावण की पूजा भी की जाती है. इतना ही नहीं यह मंदिर गांव के ठीक बीच में स्थित है. जिसकी स्थापना रावण के दादा पुलस्त्य ऋषि द्वारा की गई मानी जाती है.
भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर में शिवलिंग मौजूद है. इस मंदिर में रावण ही नहीं बल्कि रावण के पिता व दादा जी ने भी शिवलिंग के समक्ष तपस्या की थी. माना जाता है कि इसी स्थान पर रावण के अतिरिक्त कुंभकरण, शूर्पणखा और विभीषण का भी जन्म हुआ था.
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रावण का पुतला दहन करने से हो जाएगा सर्वनाश
ऐसा बताया जाता है कि जब कुछ सालों पहले इस गांव में लोगों ने रावण दहन का आयोजन किया था. तब इस गांव के कई लोगों की जान चली गई थी. जिसके बाद इस हाहाकार को बंद करने के रावण की पूजा व मंत्रों का उच्चारण किया गया. यही कारण है जिसके बाद से लोगों ने दुबारा यहां रावण दहन करने का प्रयास नहीं किया.