Dusshera special: किस शाक्तिशाली देवता को रावण ने किया था परास्त? और पैरों के नीचे दिया था स्थान
Dusshera special: रामायण के महाकाव्य में मर्यादा पुरुषोत्तम राम और लंकापति रावण की ही भूमिका विशेष रही है. हमने आज तक रावण को दस सिर वाले मायावी राक्षस के तौर पर जाना है. वास्तव में रावण जितना बलशाली व बुद्धिमानी ब्राह्मण इस चराचर जगत में कोई नहीं हुआ.
लेकिन उसकी शक्ति ही उसका घमंड बन गया. जिस कारण उसे पराजय का मुख देखना पड़ा. आपने आमतौर पर दशानन रावण की तस्वीर को देखा होगा. लेकिन क्या आपने कभी गौर किया कि उस तस्वीर में रावण के पैरों के नीचे दबा नीले रंग का शख्स आखिर कौन था?
आपको बता दें, रावण के पैरों के नीचे पड़ा नीले शरीर का यह व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि न्याय के देवता शनि देव हैं.
शनि रावण के पैरों के नीचे हैं पड़े
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, समस्त देवी देवताओं में शनि देव को सबसे अधिक क्रूर और शक्तिशाली माना जाता है. न्याय के देवता कहलाने वाले शनि देव का प्रकोप किसी भी मनुष्य के लिए झेलना बेहद मुश्किल हो जाता है.
लेकिन जिन शनि देव के प्रकोप के आगे देवताओं के भी हर प्रयास विफल हो जाते हैं. आखिर ऐसे शनि देव को रावण अपने पैरों में कैसे जकड़ सकता है? दरअसल, रावण सर्वशक्तिशाली व बुद्धिमानी ब्राह्मण था. ऐसा माना जाता है कि रावण ने अपने पुत्र की कुंडली को बनाने हेतु समस्त ग्रहों को अपने अनुसार परिवर्तित कर दिया था.
लेकिन सभी ग्रहों में शनि ग्रह एक ऐसा ग्रह था, जो बार बार अपना स्थान परिवर्तन कर रहा था. जिसके चलते उनके पुत्र के जीवन में अनेकों परेशानियां आना शुरू हो गईं. ऐसे में लंकापति रावण ने शनि देव को अपनी शक्ति से पैरों के नीचे दबा लिया.
शनि देव को बन्द कर दिया कारागृह में, फिर हनुमान जी ने कराया आजाद
रावण ने शनि देव को आपके पैरों में दबाकर अपने पुत्र की कुंडली को अपने अनुसार व्यवस्थित कर लिया. इसके बाद उन्होंने शनि देव को लंका के कारागृह में बन्द कर दिया. लेकिन वहां से उन्हें आजादी पवनपुत्र हनुमानजी ने दिलाई.
ये भी पढ़ें:- इस दशहरे जानिए रावण को कैसे मिली थी सोने की लंका?
दरअसल, जब राम जी ने हनुमान जी को सीता जी के पास भेजा. तब लंका दहन से पूर्व उन्होंने शनि देव को रावण के चंगुल से उन्हें मुक्त कराया. निसंदेह रावण यह यही बल उसे तीन लोकों में शक्तिशाली घोषित करता है.