सावन सोमवार 2021: भगवान शिव की आज इस तरह करे पूजा अर्चना, समझें महत्व व पूजा सामग्री
श्रावण कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि और दिन सोमवार है. इसके साथ ही श्रावण मास की शुरुआत हो गई हैं और 26 जुलाई यानी आज सावन का पहला सोमवार है. सावन का महीना भगवान शंकर को समर्पित होता है। इस माह में विधि- विधान से भगवान शंकर की पूजा- अर्चना की जाती है। सावन माह के सोमवार का बहुत अधिक महत्व होता है क्यूंकि भगवान शंकर का दिन सोमवार होता है. ऐसे में अगर आप भी सावन में सोमवार का व्रत रखने जा रहे हैं तो आइए जानते हैं सावन के पहले सोमवार में किस तरह से भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए.
भगवान शिव की पूजा की सामग्री
सावन के पहले सोमवार में भगवान शिव की पूजा के लिए फूल, पंच फल पंच मेवा, रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें,तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री शामिल करें.
सुबह जल्दी उठ जाएं और स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ वस्त्र धारण करें.
घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें.
सभी देवी- देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें.
शिवलिंग में गंगा जल और दूध चढ़ाएं.
भगवान शिव को पुष्प अर्पित करें।.
भगवान शिव को बेल पत्र अर्पित करें.
भगवान शिव की आरती करें और भोग भी लगाएं. इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है.
भगवान शिव का अधिक से अधिक ध्यान करें.
पूजा विधि
इस प्रकार श्रीगणेश की मूर्ति, शिवलिंग और कुमार कार्तिकेय की मूर्ति बनाकर, उसमें भगवान का आह्वान करना चाहिए. आह्वान के लिये कहना चाहिए-“ऊँ नमः पिनाकिने इहागच्छ इहातिष्ठ”
इस प्रकार भगवान को बुलाकर मन से उपचार करते हुए पैर आदि का पूजन करना चाहिए. फिर भगवान को स्नान कराना चाहिए और स्नान कराते समय कहना चाहिए- “ऊँ नमः पशुपतये” इस मंत्र से स्नान कराके, फिर शतरुद्रीय मंत्रों से स्नान कराना चाहिए। इसके बाद आप “ऊँ नमः मंत्र से गंध, पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें.
सामान्य व्यक्ति के लिये इतना पूजन पर्याप्त है, इसके बाद आपने जितनी संख्या में सोचा हो, उतनी संख्या में “ऊँ नमः शिवाय” मंत्र का जप करें. आप कितना जप करेंगे, ये बात पूजा शुरू करने के पहले ही सोच लेनी चाहिए. यह विचार ही संकल्प कहलाता है. अपनी संकल्पित पूजा समाप्त करने के बाद हाथ में फूल लेकर भगवान को पुष्पांजलि चढ़ानी चाहिए. पुष्पांजलि के बाद भगवान से उनके स्थान पर जाने का निवेदन करना चाहिए. इस प्रकार पूजा के बाद सभी मूर्तियों को आदरपूर्वक जल में विसर्जित कर देना चाहिए.
ये तो हुई एक सामान्य गृहस्थ की पूजा, लेकिन कुछ सुधिजन या अपनी विशेष इच्छा की पूर्ति चाहने वाले इससे एक कदम आगे बढ़ना चाहते हैं. इसके बाद सभी दिशाओं की पूजा करेंगे.
ऐसे करें सभी दिशाओं की मंत्रों के साथ पूजा
धूप दीप, नैवेद्य दिये जाने के बाद की पूजा आवरण पूजा कहलाती है. आवरण पूजा में विग्रह की पूर्व दिशा में पूजा करके मंत्र पढ़ना चाहिए-“पूर्वे ऊँ शर्वाय क्षितिमूर्तये नमः”
धूप दीप, नैवेद्य दिये जाने के बाद की पूजा आवरण पूजा कहलाती है. आवरण पूजा में विग्रह की पूर्व दिशा में पूजा करके मंत्र पढ़ना चाहिए- “पूर्वे ऊँ शर्वाय क्षितिमूर्तये नमः”
इसी प्रकार उत्तर दिशा में पूजा करनी चाहिए-“ऊँ रुद्राये तेजोमूर्तये नमः”
इसी प्रकार उत्तर-पश्चिम दिशा में पूजा करनी चाहिए और कहना चाहिए-“वायव्ये ऊँ उग्राय वायुमूर्तये नमः''
इसी प्रकार पश्चिम दिशा में पूजा करनी चाहिए और मंत्र पढ़ना चाहिए-“पश्चिमे ऊँ भीमाकाशमूर्तये नमः”
दक्षिण-पश्चिम दिशा में पूजा करनी चाहिए और कहना चाहिए-“नैऋत्ये ऊँ पशुपतये यजमानमूर्तये नमः”
फिर दक्षिण दिशा की पूजा करनी चाहिए और कहना चाहिए- “दक्षिणे ऊँ महादेवाय चंद्रमूर्तये नमः”
आखिर में दक्षिण-पूर्व दिशा में पूजा करनी चाहिए और कहना चाहिए-“आग्नेये ऊँ ईशानाय सूर्यमूर्तये नमः”
इस प्रकार विग्रह की आठों दिशाओं में देवाधिदेव महादेव की अष्टमूर्तियों की पूजा करनी चाहिए। उसके उपरांत इंद्र आदि दस दिक्पालों और उनके वज्र आदि आयुधों की पूजा करनी चाहिए. उसके बाद तीन बार प्रदक्षिणा करनी चाहिए। फिर- “ऊँ नमश्शिवाय” इस षडक्षर मंत्र का यथाशक्ति जप करना चाहिए। और “ऊँ नमो महादेवाय” इस मंत्र से विसर्जन करना चाहिए. उसके बाद श्री गणेश और कार्तिकेय की अपने-अपने मंत्रों से, सभी उपचारों से पूजा करके, उनका विसर्जन करना चाहिए.
सावन के सोमवार का महत्व
सावन के सोमवार का बहुत अधिक महत्व होता है. सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है. सोमवार का व्रत करने से भगवान शंकर की विशेष कृपा प्राप्त होती है. सावन का महीना भगवान शिव को अतिप्रिय होता है, जिस वजह से इस माह के सोमवार का महत्व सबसे अधिक होता है.
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