Ganesh Chaturthi 2021: क्या आप जानते हैं गणपति का असली नाम जो माता पार्वती ने उन्हें दिया?

 
Ganesh Chaturthi 2021: क्या आप जानते हैं गणपति का असली नाम जो माता पार्वती ने उन्हें दिया?

Ganesh Chaturthi 2021: गणपति बप्पा मौर्या के जयकारों के साथ अब जल्द ही गजानन आपके घर पधारने वाले हैं.  ऐसे में बप्पा के आगमन की तैयारियां भी शुरू हो चुकी हैं. 10 सितंबर 2021, दिन शुक्रवार को भगवान गणेश जी घर-घर विराजेंग. पूजा पाठ होगी, गणपति के नाम से हर घर गूंज उठेगा. लेकिन इस बीच गणेश चतुर्थी  (Ganesh Chaturthi) पर बप्पा के असली नाम का जयकारा लगना भूलिएगा नहीं. क्यों सोच में पड़ गए क्या ?

दरअसल गणेश भगवान कई नामों से जाने जाते है। जैसे सभी गणों के प्रमुख होने पर उन्हें गणपति कहा गया. गज जैसे मुख के कारण वो गजानन भी कहलाए. और जब परशुराम ने क्रोधित में शिव द्वारा दी गई परशु से गणपति पर प्रहार किया तो इस दौरान उनका एक दंत आधा टूट गया जिसके कारण गजानन को एकदंत भी कहा गया.

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इस तरह गणेश भगवान को अनेकों नाम दिए गए. जो कि उनकी उपाधि के तौर पर उन्हें मिले लेकिन सवाल अब भी यही है कि अगर ये सब नाम उनके पैदा होने के कई सालों बाद उन्हें मिले तो फिर उनका असली नाम क्या था ?

Ganesh Chaturthi 2021: क्या आप जानते हैं गणपति का असली नाम जो माता पार्वती ने उन्हें दिया?
Image Credits: pixabay

कई पौराणिक कथा अनुसार भगवान गणेशजी का असली नाम विनायक था। कहते हैं कि गणेश जी के मस्तक कटने से पूर्व माता पार्वती ने उन्हें विनायक नाम दिया था. . यानि जब माता पार्वती ने उनकी उत्पत्ति चंदन के मिश्रण से की थी तब ही उनकी माता ने उनका नाम विनायक रखा दिया था. जिसका अर्थ होता है नायकों का नायक, विशेष नायक. लेकिन वही जब उनका मस्तक काट दिया गया उन्हे हाथी का मस्तक लगाया गया.

दरअसल स्कंद पुराण में दी गई एक कथा के अनुसार बताया जाता है कि छोटे विनायक को माता पार्वती द्वार पर बिठाकर स्नान करने चली गई थीं. इतने में शिव वहां आए और पार्वती के भवन में प्रवेश करने लगे। लेकिन विनायक ने जब उन्हें रोका तो क्रोद्ध में आकर शिव ने उनका सिर काट दिया. जब पार्वतीजी ने देखा कि उनके बेटे का सिर काट दिया गया है तो वे क्रोधित हो उठीं।

उनके क्रोध को शांत करने के लिए भगवान शिव ने एक हाथी के बच्चे का सिर गणेशजी के सिर पर लगा दिया और वह जी उठा. जिसके बाद से ही सभी उन्हें गजानन कहने लगे। फिर जब उन्हें गणों का प्रमुख बनाया गया तो उन्हें गणपति और गणेश भी पुकारा गया.

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