Ganesh Chaturthi 2021: क्या आप जानते हैं गणेश जी के मोरया नाम का रहस्य?
ऐसा कहा जाता है की गणपति बप्पा (Ganesh Ji) से जुड़े इस मोरया नाम के पीछे का महत्पूर्ण राज है एक गणेश भक्त है। लोग उनके जन्मदिन के मौके पर बड़े ही धूमधाम से बप्पा मोरया नाम के जय-जयकार लगाते हैं। गणेश जी की कई दिनों तक पूजा और आराधना की जाती है। उसके बाद मूर्ति को विसर्जित कर दिया जाता है। पूजा करने और मूर्ति विसर्जन में गणपति बप्पा मोरया के जय-जयकार लगाते हैं, लेकिन गणेश जी (Ganesh Ji) के मोरया नाम का बहुत ही खास राज है जिसे हमें जानने की बहुत जरूरत है।
ऐसा कहते हैं कि चौदहवीं शताब्दी में पुणे के समीप चिंचवड़ में मोरया गोसावी नाम के सुविख्यात गणेशभक्त रहते थे। चिंचवड़ में इन्होंने कठोर गणेशसाधना की। आपको बता दें कि मोरया गोसावी ने यहां जीवित समाधि ली थी। तभी से यहां का गणेशमंदिर देश भर में विख्यात हुआ और गणेशभक्तों ने गणपति के नाम के साथ मोरया के नाम का जय-जयकार करना शुरू कर दिया। प्रथम दृष्टया तथ्य तो यही कहता है की गणपति बप्पा मोरया के पीछे मोरया गोसावी हैं। दूसरा तथ्य ये कहता है की मोरया शब्द के पीछे मोरगांव के गणेश हैं।
ऐसा कहा जाता है की मोरया गोसावी के पिता वामनभट और मां पर्वतीबाई सोलहवीं सदी में कर्नाटक से आकर पुणे के पास मोरगांव नाम की बस्ती में रहने लगे थे। प्राचीन काल से हिन्दू समाज हैं, शास्त्र, वैष्णव और गाणपत्य संम्प्रदाय में विभाजित रहा है। गणेश के उपासक गाणपत्य कहलाते हैं।
आपको बता दें की मराठियों की प्रसिद्ध गणपति वंधन 'सुखकर्ता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची' की रचना सन्त कवि समर्थ रामदास ने चिंचवड़ के इसी सिद्धक्षेत्र में मोरया गोसावी के सानिध्य में की थी।
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