Ganesh Mandir: यहां अपनी मुरादों को डाक के जरिए भेजते हैं भक्त, जानिए गणेश जी के इस चमत्कारी मंदिर का रहस्य…

 
Ganesh Mandir: यहां अपनी मुरादों को डाक के जरिए भेजते हैं भक्त, जानिए गणेश जी के इस चमत्कारी मंदिर का रहस्य…

Ganesh Mandir: गणेश जी को हिंदू धर्म में प्रथम देव का दर्जा दिया गया है. य़ही कारण है कि किसी भी मंगल काम की शुरुआत से पहले गणेश जी की वंदना की जाती है. एक ऐसा ही मंदिर राजस्थान राज्य में मौजूद हैं, जहां के बारे में कहा जाता है कि इस मंदिर में गणेश जी सपरिवार मौजूद है. और यहां भक्त गणपति के पास अपनी इच्छाएं डाक के माध्यम से भेजते हैं. इतना ही नहीं, किसी मंगल की शुरुआत होने पर दूर-दूर से लोग यहां पहला निमंत्रण गणेश जी के नाम पर भेजते हैं.

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मान्यता है कि गणेश जी भक्तों की मुरादों को जरूर पूरा करते हैं. ऐसे में आज बुधवार के दिन जोकि मुख्य रूप से गणेश जी को समर्पित है. इस दिन हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने वाले हैं, जिसके बारे में कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति गणेश जी के इस मंदिर में डाक के माध्यम से अपनी मनोकामना को पहुंचाता है, गणेश जी उसकी सारी इच्छाओं की पूर्ति करते हैं. तो चलिए जानते हैं…

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गणेश जी के इस चमत्कारी मंदिर का रहस्य

देश के राजस्थान राज्य की राजधानी जयपुर से कुछ दूर सवाई माधोपुर जिले में रणथंभौर नामक किले में गणेश जी का ये मंदिर स्थापित है. मान्यता है कि इस मंदिर को गणेश जी का प्रथम मंदिर कहा जाता है. जहां गणेश जी त्रिनेत्र गणेश के तौर पर विद्यमान है. वैसे तो देश भर में गणेश जी के चार स्वयंभू मंदिर हैं, जिनमें से रणथंभौर स्थित ये मंदिर सबसे पहला है.

Ganesh Mandir: यहां अपनी मुरादों को डाक के जरिए भेजते हैं भक्त, जानिए गणेश जी के इस चमत्कारी मंदिर का रहस्य…

गणेश जी के इस मंदिर में सबसे पहले श्री राम ने लंका जाने से पहले पूजा अर्चना की थी. इतना ही नहीं, कृष्ण जी ने जब रूक्मणि से विवाह किया था, तब वह गणेश जी का प्रथम पूजन करना भूल गए थे, ऐसे में गणेश जी के वाहन मूषक ने कृष्ण जी के रथ के आगे गड्ढे कर दिए थे, तब जाकर कृष्ण जी को अपनी भूल का अहसास हुआ, और उन्होंने गणेश जी की वंदना की. तभी से इस मंदिर की विशेष मान्यता है.

Ganesh Mandir: यहां अपनी मुरादों को डाक के जरिए भेजते हैं भक्त, जानिए गणेश जी के इस चमत्कारी मंदिर का रहस्य…

जिसके जीर्णोद्धार का श्रेय हमीरदेव को दिया जाता है. जिन्होंने अलाउद्दीन खिलजी से बचाव के लिए रणथंभौर में गणेश जी की मूर्ति स्थापना की थी और फिर गणेश जी के आशीर्वाद से रणथंभौर में गणेश जी के मंदिर की स्थापना कराई. कहते हैं यहां भक्तों की मुराद या मनोकामना को लोग डाक के माध्यम से भेजते हैं, जिस पर रणथंभौर मंदिर का पता अंकित होता है. जिसे पंडित और पुजारी गणेश जी के चरणों में अर्पित करते हैं. कहते हैं गणेश जी अपने भक्तों की मुराद पूरी करते हैं, तभी से इस मंदिर की विशेष धार्मिक मान्यता है.

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