Ganga Maiyaa ke bhajan: गंगा मैया के इन भजनों में छिपा है जीवन की सारी परेशानियों का हल, हर रोज श्रद्धा से कीजिए गान…

 
Ganga Maiyaa ke bhajan: गंगा मैया के इन भजनों में छिपा है जीवन की सारी परेशानियों का हल, हर रोज श्रद्धा से कीजिए गान…

Ganga Maiyaa ke bhajan: हिंदू धर्म में गंगा नदी को माता के तौर पर पूजा जाता है. जिन्हें हिंदू धर्म में काफी विशेष महत्व दिया गया है. गंगा मैया का जल धार्मिक दृष्टि से काफी पवित्र माना गया है.

कहते हैं जो भी भक्त अपने सम्पूर्ण जीवनकाल में एक बार गंगा में स्नान कर लेता है, उसके सारे पाप धुल जाते हैं. मान्यता ये भी है कि गंगा नदी में अस्थि विसर्जन करने से मरने वाले व्यक्ति को स्वर्ग की प्राप्ति होती है.

Ganga Maiyaa ke bhajan: गंगा मैया के इन भजनों में छिपा है जीवन की सारी परेशानियों का हल, हर रोज श्रद्धा से कीजिए गान…
ganga maiyaa ke bhajan

यही कारण है कि हर साल गंगा दशहरा और गंगा जयंती का पर्व बड़े धूम धाम से मनाया जाता है. गंगा मैया की इस विशेष धार्मिक मान्यता के चलते आज हम आपको गंगा मैया के बेहतरीन भजनों से रूबरू कराने वाले हैं.

जिनको गाकर आप माता गंगा के प्रति अपने असीम प्रेम को अभिव्यक्त कर सकते हैं.

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यहां पढ़िए गंगा मैया के बेहतरीन भजन…

https://www.youtube.com/watch?v=S-JZIL96kYI

मानो तो में गंगा माँ हु।ना मानो तो बेहता पानी। २।

जो स्वर्ग ने दी धरती को।में हु प्यार की वही निसानी।
मानो तो में गंगा माँ हु।ना मानो तो बेहता पानी। २।

युग युग से में बेहती आई,निल गगन के निचे।
सदियों से ये मेरी धारा,प्यार की धरती सींचे।
मेरी लहर लहर पे लिखी है।इस देश की अमर कहानी।
मानो तो…….

कोई वजा करे मेरे जल से।कोई मूरत को नहलाये।
कही मोची चमड़े धोये।कही पंडित प्यास बुझाये।
ये जात धर्म के झगड़े,इंसान की है नादानी।
मानो तो…….

गौतम अशोक अकबर ने ,यहाँ प्यार के फूल खिलाये।
तुलसी ग़ालिब मीरा ने ,यहाँ ज्ञान के दीप जलाये।
मेरे तट पे आज भी गूंजे ,नानक कबीर की वाणी।
मानो तो…….

मानो तो में गंगा माँ हु।ना मानो तो बेहता पानी। २।

Ganga Maiyaa ke bhajan: गंगा मैया के इन भजनों में छिपा है जीवन की सारी परेशानियों का हल, हर रोज श्रद्धा से कीजिए गान…
ganga maiyaa ke bhajan

तेरी निर्मल पावन धार माँ करती सब का उधार माँ,
जो आये शरण तू उसको पार लगा देना,

गंगा मियां तू सब की पीड़ मिटा देना,

श्री हरी के चरणों में था तेरा वसेरा मईयां
ब्रह्मा जी ने आज्ञा देके धरा पे उतारा मईयां,
तेरा वेग मियां जी भारी विकराला था,
भोले ने सिर ऊपर तुम को सम्बाला था,
है पाप नाशनी पाँवन हमे बना देना,
गंगा मियां तू सब की पीड़ मिटा देना,

भगी रथ की विनती मानी दिन वरदान माँ,
सगर जी के पुत्रो का किया कल्याण माँ,
आठो ही वस्तुओं का तूने शाप काटा था
पापो को ले तुमने बस प्यार बांटा था,
अमिरत बर्षा कर मियां सदा पीला देना,
गंगा मियां तू सब की पीड़ मिटा देना,

भारत है देश मेरा ऋषियों की भूमि मियां,
राम कृष्ण अर्जुन की यही कर्म भूमि मईयां
आकर के सब तुझमे डुबकी लगा ते है,
रश्मी विसरियाँ भी तेरे गीत गाते है,
हमे अंत समय में अपनी गोद बिठा लेना,
गंगा मियां तू सब की पीड़ मिटा देना,

https://www.youtube.com/watch?v=6f6SqNwGXiI

मैया, ओ गंगा मैया,
ओ गंगा मैयां में,

गंगा मैया में ज़ब तक ये पानी रहे,
मेरे सजना तेरी जिन्दगानी रहे,
जिंदगानी रहे,
मैया, ओ गंगा मैया।

मेरे जीवन की ओरे खिवैयाँ,
तेरे हाथों में है मेरी नैयाँ,
दुनियाँ कुछ भी कहे,
भले कहती रहे,
मेरी पूजा तेरी ही दीवानी रहे,
दीवानी रहे,
मैया, ओ गंगा मैया।

आग अगनी के फेरे लगा कर,
याद बीते दीनो की जलाकर,
आई में तेरे द्वार,
लिए मन का संसार,
मेरे होंटो पे तेरी कहानी रहे,
कहानी रहे,
मैया, ओ गंगा मैया।

छुपी नारी के मन में वो सीता,
जिसका जीवन अंगारों पे बीता,
मेरे जीवन के राम,
मेरे माथे पे तेरी निशानी रहें,
निशानी रहे,
मैया, ओ गंगा मैया।

मैया, ओ गंगा मैया,
ओ गंगा मैयां में,
गंगा मैया में ज़ब तक ये पानी रहे,
मेरे सजना तेरी जिन्दगानी रहे,
जिंदगानी रहे,
मैया, ओ गंगा मैया।

दुनियाँ दर्शण आई जी ,
दुनियाँ दर्शण आई जी ।
जाग – जाग मेरी गंगा माँई ,
दुनियाँ दर्शण आई जी ॥
जाग – जाग मेरी गंगा माँई जी ॥

राम जागे लक्ष्मण जी जागे ,
जागी सीता माँई जी ।
हाँक देत हनुमत जागे ,
जागे चारू भाई जी ॥
जाग – जाग मेरी गंगा माँई जी ॥

Ganga Maiyaa ke bhajan: गंगा मैया के इन भजनों में छिपा है जीवन की सारी परेशानियों का हल, हर रोज श्रद्धा से कीजिए गान…
Ganga maiyaa ke bhajan

ब्रह्मा जागे विष्णु जागे जी ,
जागे शंकर देवा जी ।
बड़े – बड़े जोगी सब जागे ,
सुरत भजन में लागी जी ॥
जाग – जाग मेरी गंगा माँई जी ॥

धुव्र जागे प्रहलाद भी जागे जी ,
जागे सजन कसाई जी ।
सुआ पढ़ावत गणिका जागी ,
जागी मीरा बाई जी ॥
जाग – जाग मेरी गंगा माँई जी ॥

ब्रह्म कमण्ड सु गंगा निकली ,
हरि की पेड़ी आई जी ।
दोय कर जोड़ भागीरथ बोले ,
धिन – धिन गंगा माँई जी ।
जाग – जाग मेरी गंगा माँई जी ॥

एक धार आकाश को गई है दूजी गयी पाताल गंगे महारानी।

इधर से गंगा उधर से यमुना संगम हुआ अपार गंगे महारानी।

न्हाये धोये से पाप कटगें कोई पिने से उद्धार गंगे महारानी।

पान चढ़े तो पे फूल चढ़े तो पे चढ़े दूध की धार गंगे महारानी।

ध्वजा नारियल पान सुपारी कोई तेरी भेंट-चढाएं गंगे महारानी।

साधु-संत तेरी करे आरती हो रही जय-जयकार गंगे महारानी।

दूर-दूर से आये यात्री कोई चरणों में शीश नवाये गंगे महारानी।

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