Garuda Puran: दाह संस्कार के बाद यदि श्मशान में पीछे मुड़कर देखा, तो हो जाएगा बहुत नुकसान…
Garuda Puran: सर्वविदित है कि जो व्यक्ति इस संसार में आया है, उसे एक ना एक दिन जरूर जाना है. ऐसे में यदि आपका भी कोई इस दुनिया को अलविदा कह गया है, और आप उसके दाह संस्कार में शामिल हुए हैं.
यानि आपने अपने प्रिय व्यक्ति या जानने वाले के मृत शरीर को श्मशान तक कंधा दिया है, और इसके दाह संस्कार में शामिल हुए हैं. तो वहां से लौटते समय आपको श्मशान की ओर पीछे देखने को मना किया जाता है.
मान्यता है कि यदि दाह संस्कार से लौटते समय आपने श्मशान की ओर मुड़कर देखा तो आपको काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.
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ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि आखिर क्यों श्मशान से दाह संस्कार के बाद लौटते समय पीछे मुड़कर देखने के लिए क्यों मना किया जाता है?
तो इसलिए श्मशान से लौटते समय पीछे मुड़कर देखने को किया जाता है मना…
कहते हैं यदि किसी व्यक्ति का दाह संस्कार करके आप श्मशान से वापिस लौट रहे हैं, और यदि ऐसे में आप पीछे मुड़कर देख लेते हैं, तो माना जाता है कि आपका मृत व्यक्ति से संबंध नहीं टूट पाया है, अब भी आपमें मृत व्यक्ति को लेकर मोह बरकरार है. ऐसे में आपको पीछे मुड़कर देखने को मना किया जाता है.
मान्यता है कि यदि मरने वाले व्यक्ति का कोई संबधी दाह संस्कार के दौरान पीछे मुड़कर देख ले, तो मृत व्यक्ति की आत्मा को बहुत कष्ट पहुंचता है, और उसे शांति नहीं मिल पाती है.
अगर कोई व्यक्ति श्मशान से लौटते वक्त मृत व्यक्ति के शरीर को जलते हुए देखता है, तो मृत व्यक्ति की आत्मा कभी भी जन्म मरण के बंधन से मुक्त नहीं हो पाती है. माना जाता है कि उसे ये दुःख जीवन भर सताता है कि वह अपने प्रिय को छोड़कर चला गया है, जिस कारण वह परलोक में भी सुखी नहीं रह पाता है.
गरुड़ पुराण के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति श्मशान से लौटते समय पीछे मुड़कर देख ले तो कहते हैं मृत व्यक्ति की आत्मा उस व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाती है. जोकि आगे उसे बहुत परेशान करती है.
यही कारण है कि श्मशान में कमजोर दिल वाले, बच्चों और महिलाओं को नहीं ले जाया जाता है. ताकि मृत व्यक्ति की आत्मा को हमेशा के लिए शांति मिल जाए.