Gopashtami 2021: इस दिन होती है गौ माता की पूजा, जानिए गोपाष्टमी का धार्मिक महत्व
गोपाष्टमी (gopashtami) गोवर्धन पूजा के लगभग एक सप्ताह बाद मनाई जाती है. यह पर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को पड़ता है. इस दिन मुख्य रूप से भगवान श्री कृष्ण और गौ माता की पूजा विधि-विधान से की जाती है. हिंदू धर्म में इस त्योहार को मनाने के पीछे का उद्देश्य गौ माता की सेवा और उनके प्रति आभार व्यक्त करना है.
गौ माता जोकि हमें पौष्टिक आहार उपलब्ध कराती है. इनके द्वारा ही हमें दूध, दही, छाछ आदि की प्राप्ति होती है. साथ ही गौ के मूत्र का सेवन करने से व्यक्ति के कई रोग जड़ से खत्म किए जा सकते हैं. ऐसे में गोपाष्टमी के पर्व का विशेष धार्मिक और सामाजिक महत्व है.
कहा जाता है कि गोपाष्टमी वाले दिन भगवान श्री कृष्ण और उनके भाई बलराम ने गाय पालन की अपनी शिक्षा पूर्ण की थी. तभी से यह पर्व गौ माता की सेवा के तौर पर मनाया जाने लगा. इस वर्ष गोपाष्टमी 11 नवंबर को मनाई जाएगी.
हिंदू धर्म में गौ को माता का दर्जा दिया गया है. इसलिए अनेक अवसर फिर चाहे वह त्योहार हो या अन्य कोई धार्मिक अनुष्ठान. प्रत्येक अवसर पर गौ माता की पूजा का चलन है.
- गोपाष्टमी (gopashtami) के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत होने के बाद गौ माता के चरण स्पर्श किए जाते हैं.
- उसके बाद गौ माता और उसके बछड़े को कपड़े इत्यादि पहनाकर उनका श्रृंगार किया जाता है.
- फिर गौ माता के चारों ओर परिक्रमा की जाती है.
- कहीं-कहीं पर गोपाष्टमी वाले दिन दान पुण्य आदि भी किया जाता है.
- गोपाष्टमी के दिन गौ माता को हरा चारा, गुड़, चना आदि खिलाया जाता है.
- इसके साथ ही गोपाष्टमी पर्व पर भगवान श्री कृष्ण को भी तिलक और प्रसाद चढ़ाया जाता है.
- पूजा की थाली में धूप, फूल, रोली, चावल, अक्षत, जल, गुड़, मिठाई आदि रखकर गौ माता की पूजा की जाती है.
- महिलाएं गोपाष्टमी के दिन अपनी गौ माता या बछड़े के हाथ पैरों पर मेंहदी, हल्दी आदि लगाती हैं.
- अगर आपके घरों में गाय, बछड़ा इत्यादि नहीं हैं, तो आप किसी गोशाला में जाकर भी गौ माता का पूजन कर सकते हैं.
- गोपाष्टमी के दिन ग्वालों के मस्तक पर तिलक लगाकर उनको दान दक्षिणा आदि दी जाती है.
माना जाता है कि यदि आज के दिन आप श्रद्धा और सच्चे मन से गौ माता की सेवा करते हैं, तो वह आपको उचित फल देती हैं. इस प्रकार, गोपाष्टमी (gopashtami) के दिन गौ माता का संपूर्ण धार्मिक रीत से पूजन आदि किया जाता है.
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