Guru purnima 2021: महाभारत के रचयिता महर्षि वेदव्यास से जुड़ा है गुरु पूर्णिमा का पर्व
भारत एक ऐसा देश है जहां प्राचीन काल से ही गुरु और शिष्य का रिश्ता समस्त रिश्तों में सर्वोपरि माना गया है. भारतीय समाज में इस रिश्ते को सबसे पवित्र माना जाता है. गुरु को यहां देवता का दर्जा दिया जाता है. जिसके चलते गुरु पूर्णिमा का पर्व भारत में गुरु को सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है.
गुरु पूर्णिमा आषाढ़ माह की पूर्णिमा को मनाई जाती है. इस वर्ष यह पर्व 24 जुलाई 2021 को मनाया जाएगा. तो चलिए आज जानते हैं कि गुरु पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है और क्या इसका महत्व, पूजन विधि.
क्या आप जानते हैं कि गुरु पूर्णिमा का पर्व क्यों मनाया जाता है? पौराणिक कथाओं के अनुसार ऋषि वेदव्यास को समस्त मनुष्य प्रजाति का गुरु माना गया है. बताया जाता है कि आज से लगभग 3 हजार ई. पूर्व आषाढ़ माह की पूर्णिमा को महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था. इनके पिता ऋषि परशर और माता सत्यवती थी. इन्हें महाभारत ग्रंथ का रचियता और दृष्ट्या भी कहा जाता है. महर्षि वेदव्यास भगवान विष्णु के 21वें अवतार थे. ऐसे में महर्षि वेदव्यास के मान-सम्मान एवं उन्हें कृतज्ञता व्यक्त करने हेतु आषाढ़ शुक्ल की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा मनाई जाती हैं.
पौराणिक ग्रंथों और शास्त्रों के अनुसार ब्रह्मांड में गुरु को त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश के समान दर्जा दिया गया है. क्योंकि गुरु अपने शिष्य का सर्जन करते हुए उन्हें सही राह दिखाता हैं. इसलिए गुरु पूर्णिमा के दिन बहुत से लोग अपने ब्रह्मलीन गुरु या संतों के चरण एवं उनकी चरण पादुका की पूजा अर्चना करते है. इस प्रकार गुरु के प्रति समर्पण भाव गुरु पूर्णिमा के दिन देखा जा सकता हैं.
जानिए गुरु पूर्णिमा पर कैसे करें पूजन
गुरु पूर्णिमा के दिन सबसे पहले घर की उत्तर दिशा में एक सफेद वस्त्र पर अपने गुरु का चित्र रख दें. जिसके बाद उन्हें फूलों की माला पहनाकर मिठाई का भोग लगाएं एवं आरती कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें. इस दिन सफेद व पीले वस्त्र पहनकर पूजा करें. यह पूजन विधि वे लोग भी अपना सकते हैं जो अपने गुरु से दूर हो एवं किसी कारण से अपने गुरु के पूजन-वंदन को नही जा सकते हैं. अगर आप गुरु का पूजन वंदन करने जा रहे है तो गुरु के पग पर पुष्प, अक्षत एवं चंदन से उनका पूजन कर उन्हें मिठाई या फल भेंट कर सकते है.
इस प्रकार हिंदू धर्म में गुरु पूर्णिमा का विशेष महत्व है और महर्षि वेदव्यास के जन्म के कारण इस दिन की महत्ता और बढ़ जाती है.
यह भी पढ़ें: Amavasya Facts: देवकार्य अमावस्या पर कौन से कार्य माने गए हैं वर्जित और क्या करना चाहिए?