Hanuman Jayanti 2022: बाल ब्रह्मचारी होने के बावजूद इस मंदिर में पत्नी संग मौजूद हैं बजरंगबली की प्रतिमा, जानिए इस रहस्य के बारे में…
Hanuman Jayanti 2022: हनुमान जी कलियुग के देवता कहे जाते हैं. जिनकी हर वर्ष चैत्र मास में जयंती मनाई जाती हैं. हनुमान जी की जयंती इस बार 16 अप्रैल को मनाई जाएगी.
मान्यता है कि इस दिन हनुमान जी का जन्म हुआ था. जिन्होंने माता अंजनी के गर्भ से जन्म लिया था. हनुमान जी के पिता का नाम केसरी था. हनुमान जी प्रभु श्री राम के भक्त हैं, जिन्होंने जीवनपर्यंत बाल ब्रह्मचारी रहने की ही प्रतिज्ञा ली थी.
ऐसे में आज उनके जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में हम आपको हनुमान जी के जीवन से जुड़े एक रहस्य और उस मंदिर के बारे में बताने वाले हैं, जहां हनुमान जी अपनी पत्नी के साथ विराजमान हैं.
जी हां! हमने सदा से यही सुना है कि हनुमान जी ने सदैव ही बाल ब्रह्मचारी रहने का संकल्प लिया था, यही कारण है कि आज भी उनकी मूर्ति को किसी महिला को छूने की अनुमति नहीं है. ऐसे में क्या है मंदिर का रहस्य और क्या है बजरंगबली के विवाहित होने की कहानी? जानिए आगे…
इस मंदिर में अपनी पत्नी के साथ विराजित हैं हनुमान जी…
हनुमान जी का ये मंदिर तेलंगाना में स्थित है. जहां हर वर्ष ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की दशमी को हनुमान जी का विवाहोत्सव का आयोजन किया जाता है. लेकिन अगर धार्मिक पुराणों पर गौर करें तो पाएंगे कि उनमें वर्णित है कि हनुमान जी जीवन भर बाल ब्रह्मचारी रहे.
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लेकिन उज्जैन स्थित इस मंदिर में हनुमान जी की पत्नी भी उनके साथ मूर्ति रूप में विराजित हैं. ये मंदिर तेलंगाना के खम्मम जिले में स्थित है, जोकि हैदराबाद से करीब 22 किलोमीटर दूर है.
जहां हनुमान जी अपनी पत्नी सुवर्चला के साथ मौजूद हैं. लेकिन क्या है हनुमान जी के विवाह का रहस्य? इस बारे में हम आगे जानेंगे.
ऋषि पाराशर की संहिता में है हनुमान जी के विवाह का जिक्र
ऋषि पाराशर द्वारा रचित संहिता में लिखा है कि जब हनुमान जी सूर्य देव से शिक्षा ग्रहण कर रहे थे, तब उन्होंने सूर्यदेव से 9 विद्याओं में से केवल 5 विद्या ही सीखी थीं. क्योंकि सूर्य देव 4 विद्याओं का ज्ञान केवल किसी विवाहित को ही दे सकते थे.
ऐसे में जब सूर्य देव ने हनुमान जी को विवाह करने की सलाह दी. तो पहले तो हनुमान जी ने काफी मना किया, क्योंकि वह ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करने का संकल्प ले चुके थे. लेकिन उन्हें सूर्य देव से सारी विद्याएं सीखनी थी. इस कारण उनका विवाह सूर्यदेव की पुत्री सुवर्चला से कर दिया गया.
हालंकि विद्या ग्रहण करने के पश्चात सुवर्चला सदैव के लिए तपस्या में लीन हो गई. इस प्रकार, हनुमान जी ने सूर्यदेव से 9 विद्याओं का ज्ञान भी ले लिया और वह ब्रह्मचारी भी बने रहे.
हनुमान जी की इसी कहानी को आधार मानकर इस मंदिर में हनुमान जी के साथ उनकी पत्नी सुवर्चला की मूर्ति स्थापित है. जिसके दर्शन के लिए सम्पूर्ण भारतवर्ष से लोग यहां हर साल आते हैं, और हनुमान जी और पत्नी के दर्शन करने अपने वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाते हैं.