Hanuman ji ka vivah: क्या वास्तव में हनुमान जी ने किया था विवाह? फिर कैसे कहलाए बाल ब्रह्मचारी
Hanuman ji ka vivah: हिंदू धर्म में हनुमान जी एकमात्र ऐसे देवता हैं. जिनके विषय में कहा जाता है, कि उन्होंने जीवन भर ब्रह्मचर्य का पालन किया. हनुमान जी जिन्हें भगवान श्री राम का सबसे बड़ा भक्त कहा जाता है. कहा जाता है जो भी व्यक्ति भगवान श्री राम की कृपा प्राप्त करना चाहता है, उसे हनुमानजी की उपासना करनी चाहिए. आज मंगलवार के दिन हनुमानजी के भक्त उन्हें खुश करने के लिए अनेक तरह के उपाय इत्यादि करते हैं, ताकि बजरंगबली उनके जीवन से सारे संकट दूर कर दें. इसी तरह से यदि आप भी हनुमान जी की उपासना करने के अलावा हनुमान जी से जुड़े कुछ एक तथ्य जानने के लिए उत्सुक हैं, तो हमारे आज के इस लेख में हम आपको हनुमान जी के विवाह की कहानियां से अवगत कराएंगे. जिससे आप भी हनुमान जी के बारे में जान पाएं. तो चलिए जानते हैं…
हनुमान जी के विवाह से जुड़ी लोक कथाएं
हनुमान जी ने सूर्य देव की पुत्री सुवर्चला के साथ विवाह किया था. इसका उल्लेख हमें पराशर संहिता में मिलता है. कहा जाता है जब हनुमान जी ने सूर्य देव से ज्ञान प्राप्त किया था, तब कुछ विद्याओं को सीखने के लिए हनुमान जी का विवाहित होना जरूरी था, जिस वजह से हनुमान जी ने सूर्य देव की पुत्री के साथ विवाह किया था, हालांकि इस विवाह के बाद सूर्य देव की पुत्री ने तपस्या को ही अपना जीवन बना लिया था, इसलिए हनुमान जी का विवाह होने के बाद भी उन्होंने हमेशा ब्रह्मचारी की भांति जीवन व्यतीत किया.
पउम चरित के मुताबिक, हनुमान जी ने दूसरा विवाह रावण की संबंधी अनंगकुसुमा से किया था. ऐसा इसलिए क्योंकि एक बार जब रावण और वरुण देव के बीच युद्ध हुआ, तब हनुमानजी ने ब्रह वरुण देव की तरफ से रावण से लड़ाई लड़ी थी. इस लड़ाई में रावण की हार हुई थी, जिस वजह से रावण ने अपनी दुहिता अनंगकुसुमा का विवाह हनुमान जी से करवा दिया, जिस वजह से वह हनुमान जी की दूसरी पत्नी कहलाई.
हनुमान जी के तीसरे विवाह का उल्लेख भी रावण और वरुण देव के इस युद्ध के दौरान ही मिलता है. जब वरुण देव और हनुमान जी रावण को हराकर युद्ध जीत गए थे, तब वरुण तेज ने प्रसन्न होकर अपनी पुत्री सत्यवती का विवाह हनुमान जी के साथ कर दिया था.
उपरोक्त विवाह के पश्चात भी हनुमान जी ने जीवन भर ब्रह्मचर्य का पालन किया. उन्होंने कभी भी अपनी किसी भी पत्नी के साथ गृहस्थ जीवन नहीं बताया और अपना संपूर्ण जीवन भगवान श्री राम की भक्ति में लगा दिया.
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