Holi 2022: रंगों के इस पर्व से जुड़ी हैं कई धार्मिक और वैज्ञानिक मान्यताएं, जानिए क्यों मनाई जाती है होली...
Holi 2022: साल भर में एक बार आने वाले होली के त्योहार का हर किसी को इंतजार रहता है. फाल्गुन माह में मनाए जाने वाला होली का त्योहार दो दिनों तक मनाया जाता है.
पहले दिन होलिका दहन तथा दूसरे दिन धुल्हड़ी. इस वर्ष भी मार्च 17 को होलिका दहन तथा 18 मार्च को होली धुल्हड़ी मनाई जाती है. हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है होली का त्योहार.
इस प्रकार होली के पर्व का धार्मिक महत्व अधिक है. लेकिन इसके साथ ही होली के त्योहार का वैज्ञानिक महत्व भी है. अधिकतर लोग इस बात से अनजान होंगे कि होली का वैज्ञानिक रूप से भी काफी महत्व होता है.
होली मनाने के पीछे का वैज्ञानिक कारण
होली हिन्दू धर्म का एक बड़ा त्योहार है. जो कि ग्रीष्म ऋतु के आगमन के समय आता है. ऋतु परिवर्तन के समय में ही बैक्टीरिया, कीटाणु इत्यादि पनपने लगते हैं.
ऐसे में होली के त्योहार के समय जब घर व दुकानों की अच्छी से सफाई होती है, तो बैक्टीरियों को खत्म करने में सफलता मिलती है.
इसी प्रकार होली शीत ऋतु के जाते और ग्रीष्म ऋतु के आते समय आती है, जिसके जरिए जब होलिका दहन होता है तो उसमें गोबर के बदकुल्ले भी जलाए जाते हैं.
तेज अग्नि प्रज्जवलित रहती है. इस होलिका दहन से वातावरण में मौजूद जीवाणुओं का अंत होता है. होली के आने से पर्यावरण ही नहीं अपितु शरीर भी जीवाणु से मुक्त होता है.
होलिका दहन के समय धार्मिक मान्यता के अनुसार होलिका के चारों ओर परिक्रमा की जाती है. यही वैज्ञानिक दृष्टि से अग्नि के ताप से जब शरीर का संपर्क होता है तो शरीर में मौजूद कई जीवाणु का अंत होता है.
होली मनाने के पीछे का धार्मिक कारण
हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, होली पर्व हिरणकश्यपु, भक्त प्रहलाद तथा होलिका से जुड़ी एक पौराणिक कथा से चला आ रहा है. इसी कथा से जुड़कर ही होलिका दहन की प्रथा निभाई जाती है.
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इसके साथ ही रंगों की होली श्री कृष्ण तथा राधा जी से जुड़ी है. इसलिए हर साल होलिका दहन के बाद होली का त्योहार रंगों के साथ मनाया जाता है.