ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना किस प्रकार की… जानिए रहस्य

 
ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना किस प्रकार की… जानिए रहस्य

ब्रह्मा जी सृष्टि के रचयिता हैं. ब्रह्मा को पितामह, हिरण्यगर्भ, प्रजापति एवं संसार के आद्य सृष्टा के नाम से भी जाना जाता है. वैदिक पुराणों के अनुसार ब्रह्मा का जो रूप है वह वैदिक प्रजापति का है. अर्थात जिससे कुल, वंश, परिवार, संसार इत्यादि की वृद्धि होती है. यही नहीं बल्कि ब्रह्मा की संतानों को भी प्रजापति के नाम से सम्बोधित किया जाता है. असुर हो या देव या किसी भी प्रकार का कोई जीव सभी का देवता ब्रह्मा को माना गया है. ब्रह्मा के चार मुखों का वर्णन मत्स्य पुराण में किया गया है. और उनकी चार भुजाएं भी हैं.

ब्रह्मा जी द्वारा सृष्टि की रचना और रहस्य

भगवान सदाशिव द्वारा ब्रह्मा व विष्णु दोनों को तत्व ज्ञान का बोध कराने के बाद उनके कार्य क्षेत्रों का विभाजन कर दिया गया. सदाशिव जी ने ब्रह्मा से कहा कि आप सृष्टि का निर्माण कीजिए. और सृष्टि में उपस्थित सभी जीव-जन्तुओं, मानव, प्रकृति इत्यादि के अधिपति आप ही कहलाएंगे. और विष्णु को सृष्टि के पालन का दायित्व देकर. सदाशिव अंतरध्यान हो गए. ब्रह्मा ने सदाशिव के आदेश मिलने के उपरांत सर्वप्रथम जल की रचना की. इसीलिए जल का महत्व सजीव लोगों के जीवन में विशेष हैं. क्यों कि जल बिना जीवन सम्भव नहीं.

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शायद इसीलिए ब्रह्मा ने भी सबसे पहले जल का ही निर्माण किया होगा. जल का अभिप्राय है जो जन्म से लेकर मृत्यु तक हमारे साथ है. जिसके बिना सृष्टि नहीं, चेतना नहीं, संचार नहीं, नर नहीं, नारायण नहीं, ब्रह्मा नहीं, महेश नहीं, विष्णु नहीं, जीव-जंतु नहीं, पेड़ पौधे नहीं वह जल है. जीवन की इसी अवधारणा से शिव जी ने ब्रह्मा को अवगत कराया. और ब्रह्मा ने अपने कमण्डल से जल की उत्पत्ति की. ब्रह्मा ने सर्वप्रथम जल छिड़कर अंड का निर्माण किया. और सदाशिव ने उसमें प्राण डाले. आपको बता दें कि सभी प्राणियों का जन्म इसी अंड यानी अण्डकोष से होता है. इसी प्रकार सृष्टि की रचना प्रारंभ हो गयी.

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