Immortal Facts: जानें हिंदू धर्म के 7 चिरंजीवी कौन-कौन हैं? जो आज भी धरती पर जीवित हैं...
‘अश्वत्थामा बलिर्व्यासो हनुमांश्च विभीषणः।
कृपः परशुरामश्च सप्तैते चिरंजीविनः॥
सप्तैतान् संस्मरेन्नित्यं मार्कण्डेयमथाष्टमम्।
जीवेद्वर्षशतं सोपि सर्वव्याधिविवर्जित।।’
इस श्लोक के माध्यम से हमें पता चलता है हिंदू धर्म में चिरंजीवी का वरदान प्राप्त होने वाले महामानवों के बारे में. इस श्लोक की प्रथम दो पंक्तियों में उन महापुरूषों के नाम समलित है जिन्हें अमर होने का वरदान प्राप्त था. अश्वत्थामा, बलि, व्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य और भगवान परशुराम ये सात महामानव चिरंजीवी हैं.
आइये आज इस लेख के माध्यम से जानते है इन सात चिरंजीवी महामानवों के बारे में
भगवान परशुराम
भगवान विष्णु के 6 अवतार माने जाने वाले भगवान परशुराम आज भी जीवित है ऐसा माना जाता है. परशुराम के पिता ऋषि जमदग्नि और माता रेणुका थीं. माता रेणुका ने पाँच पुत्रों को जन्म दिया, जिनके नाम क्रमशः वसुमान, वसुषेण, वसु, विश्वावसु तथा राम रखे गए. जमदग्नि ऋषि के पुत्र राम को भगवान शिव की तपस्या करने के बाद फरसा प्राप्त हुआ था, जिससे उनका नाम परशुराम पड़ गया.
अश्वत्थामा
अश्वत्थामा महाभारत काल से ही इस धरती पर हैं और वे सात चिरंजीवियों में से एक हैं. ऐसी कथा प्रचलित है कि गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा के सिर में अमर मणि है. अश्वत्थामा को कृष्ण के श्राप के कारण ही चिरंजीवी होना पड़ा था, वे इस दुनिया के अंत तक रहेंगे.
बलि
राजा बलि के दान के चर्चे दूर-दूर तक थे. देवताओं पर चढ़ाई करने राजा बलि ने इंद्रलोक पर अधिकार कर लिया था. बलि सतयुग में भगवान वामन अवतार के समय हुए थे. राजा बलि के घमंड को चूर करने के लिए भगवान ने ब्राह्मण का भेष धारण कर राजा बलि से तीन पग धरती दान में माँगी थी. राजा बलि ने कहा कि जहाँ आपकी इच्छा हो तीन पैर रख दो. तब भगवान ने अपना विराट रूप धारण कर दो पगों में तीनों लोक नाप दिए और तीसरा पग बलि के सर पर रखकर उसे पाताल लोक भेज दिया.
शास्त्रों के अनुसार राजा बलि भक्त प्रहलाद के वंशज हैं. राजा बलि से श्रीहरि अतिप्रसन्न थे. इसी वजह से श्री विष्णु राजा बलि के द्वारपाल भी बन गए थे.
विभीषण
विभिषण रामायण काल के है. विभीषण, रावण के छोटे भाई थे. वे भी एक चिरंजीवी है. विभिषण ने प्रभु श्री राम की भक्ति में अपने भाई रावण तक का त्याग कर दिया था.
हनुमान
अंजनी पुत्र हनुमान जी को भी अजर अमर रहने का वरदान मिला हुआ है. हनुमान जी रामायण काल में प्रभु श्री राम के परम भक्त रहे हैं. हजारों वर्षों बाद वे महाभारत काल में भी नजर आए थे. महाभारत में प्रसंग हैं कि भीम उनकी पूँछ को मार्ग से हटाने के लिए कहते हैं तो हनुमानजी कहते हैं कि तुम ही हटा लो, लेकिन भीम अपनी पूरी ताकत लगाकर भी उनकी पूँछ नहीं हटा पाते है. हनुमान जी को अजर अमर रहने का वरदान माता सीता ने दिया था. जब हनुमान जी ने अशोक वाटिका में माता सीता को प्रभु श्री राम का संदेश सुनाया था तब माता ने उन्हें यह वरदार दिए था.
ऋषि व्यास
ऋषि व्यास जिन्हे की वेद व्यास के नाम से भी जाना जाता है ने ही चारों वेद (ऋग्वेद, अथर्ववेद, सामवेद और यजुर्वेद) , सभी 18 पुराणों, महाभारत और श्रीमद्भागवत् गीता की रचना की थी. वेद व्यास, ऋषि पाराशर और सत्यवती के पुत्र थे. इनका जन्म यमुना नदी के एक द्वीप पर हुआ था और इनका रंग सांवला था. इसी कारण ये कृष्ण द्वैपायन कहलाए. इनकी माता ने बाद में शान्तनु से विवाह किया, जिनसे उनके दो पुत्र हुए, जिनमें बड़ा चित्रांगद युद्ध में मारा गया और छोटा विचित्रवीर्य संतानहीन मर गया.
कृपाचार्य
कृपाचार्य अश्वथामा के मामा और कौरवों के कुलगुरु थे. शिकार खेलते हुए शांतनु को दो शिशु प्राप्त हुए थे. उन दोनों का नाम कृपी और कृप रखकर शांतनु ने उनका लालन-पालन किया. महाभारत युद्ध में कृपाचार्य कौरवों की ओर से सक्रिय थे. कृप और कृपि का जन्म महर्षि गौतम के पुत्र शरद्वान के वीर्य के सरकंडे पर गिरने के कारण हुआ था.
निम्न सभी को चिरंजीवी होने का वरदान प्राप्त था. आज भी कभी कभी कहीं न कहीं से ऐसी खबरें आ जाती हैं कि लोगों ने इनके समान आकृतियों वाले किसी व्यक्ति को देखा जाता. यह सिर्फ एक अनुमान होता है जो व्यक्ति पौराणिक कथाओं के अनुसार लगाते हैं. और आस्था में विश्वास रखते हैं.
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