पूर्णिमा व्रत का महत्व, विधि और आवश्यक जानकारियां

 
पूर्णिमा व्रत का महत्व, विधि और आवश्यक जानकारियां

हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि को एक विशेष तिथि माना जाता है. इस दिन चंद्रमा अपने पूर्ण आकार में दिखाई देता है. 1 साल में 12 पूर्णिमा और 12 अमावस्या होती हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार 1 माह को चंद्रकला के आधार पर शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष दो रूपों में बांट दिया है. शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि को पूर्णिमा और कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को अमावस्या होती है. पूर्णिमा तिथि चंद्रमा को अति प्रिय है. इसीलिए इस दिन चंद्रमा की पूजा की जाती है और महिलाओं द्वारा व्रत धारण किया जाता है. इस दिन दान करना भी बेहद शुभ होता है.

इसके अलावा पूर्णिमा के दिन समुद्र में ज्वार भाटा उत्पन्न हो जाता है. क्योंकि पूर्णिमा के दिन चंद्रमा का संबंध धरती के जल से कई गुना बढ़ जाता है. जो जल को अपनी ओर खींचता है.पूर्णिमा के दिन मन में बेचैनी और नींद कम आती है. कम दिमाग के लोगों के लिए पूर्णिमा का दिन खतरनाक साबित हो सकता है. चंद्रमा का प्रभाव व्यक्तियों को गलत दिशा में ना ले जाए इसके लिए कुछ बातों को याद रखना आवश्यक है -

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-शुद्ध शाकाहारी भोजन करना चाहिए.
-नशा, मांस - मदिरा से दूर रहना चाहिए. यदि आप ऐसा नहीं करते हैं, तो स्वास्थ्य पर ही नहीं भविष्य पर भी गलत असर पड़ सकता है.
-लड़ाई, झगड़ा, अशांति और कलह से दूर रहना चाहिए.

पूर्णिमा व्रत की विधि एवं महत्व

-भविष्य पुराण के अनुसार इस दिन व्रत के दौरान किसी पवित्र तीर्थ स्थल में जाकर स्नान करना चाहिए.
-यदि ऐसा संभव ना हो, तो घर पर ही जल में गंगा जल मिलाकर स्नान कर सकते हैं.
-प्रात:काल व्रत का संकल्प लेना चाहिए. उसके बाद विधि-विधान और मंत्र उच्चारण के साथ चंद्रमा की पूजा करनी चाहिए.
-जल में कच्चा दूध मिलाकर चंद्रमा को अघर्य देना चाहिए.
-चंद्रमा की पूजा करने के अलावा भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए. क्योंकि चंद्रमा का भगवान शिव से घनिष्ठ संबंध है.
-चंद्रमा एक स्त्री ग्रह होने के कारण मां पार्वती की पूजा करने से उत्तम फल की प्राप्ति होती है.
-पूजा के बाद शाम को मौन रहकर शुद्ध भोजन करना चाहिए.
-यदि प्रत्येक 12 पूर्णिमा को इसी प्रकार व्रत किया जाए, तो व्यक्ति को सभी सुखों की प्राप्ति संभव है.

व्रत से जुड़ी कुछ विशेष बातें

-पूर्णिमा को पवित्र नदी में डुबकी लगाने से व्यक्ति के सभी बुरे कर्मों से छुटकारा मिल जाता है.
-इस दिन यज्ञ व अन्य शुभ कार्य करना अच्छा माना जाता है.
-पौराणिक कथाओं के अनुसार इसी तिथि को राहु ग्रह का जन्म हुआ था.
-पितरों का तर्पण करना अच्छा होता है.
-यह व्रत जो स्त्री करती है. उसे पूरे जीवन सौभाग्य और मनचाहा वर की प्राप्ति होती है.
-हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि को सभी मनोरथ पूर्ण करने वाले तिथि माना जाता है.

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