पापमोचनी एकादशी का महत्व और पूजा विधि

 

पापमोचनी एकादशी को भगवान विष्णु की आराधना की जाती है. इस दिन व्रत रख कर व विष्णु जी की पूजा करके से मनुष्य अपने पापों का प्रयाश्चित करते हैं. वैसे तो प्रत्येक वर्ष में 24 और माह में 2 एकादशी मनाई जाती हैं. किन्तु पापमोचनी एकादशी का महत्व सनातन धर्म में विशेष है. आपको बता दें कि इस बार पापमोचनी एकादशी 7 अप्रैल की है. पापियों का उद्धार करने वाली यह एकादशी चैत्र माह में मनाई जाती है. मान्यता है कि यदि कोई श्रद्धालु सच्चे मन व पूरे विधि विधान से यह व्रत रखता है तो उसे मृत्यु के उपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है.

पापमोचनी एकादशी का महत्व व विधि

वह व्यक्ति जो व्रत रखें हुए होते हैं. उन्हें इस दिन सुबह जल्दी उठकर किसी पवित्र तालाब या नदी में स्नान करके स्वच्छ व नवल वस्त्र धारण करने चाहिए. इसके बाद व्यक्ति को एक पवित्र चौकी पर साफ़ पीले रंग का वस्त्र बिछाकर भगवान विष्णु की मूर्ति को स्थापित कर उनकी आराधना करनी चाहिए. पहले तो विष्णु जी की प्रतिमा को पंचामृत से स्नान कराना चाहिए. लेकिन याद रहे पंचामृत में तुलसी का पत्ता अवश्य होना चाहिए. इसके उपरांत श्रद्धालु को वह पंचामृत प्रसाद के रूप में ग्रहण करना चाहिए. पूजा की सामग्री में वैजयंती पुष्प, नैवेद्य, नारियल, सुपारी, बेर, आंवला, अनार, आम इत्यादि ऋतुफल भी शामिल होने चाहिए.

WhatsApp Group Join Now

जिसके उपरांत विष्णु जी की पूरे विधि विधान से पूजा अर्चना करनी चाहिए. और पूजा करने के बाद पापमोचनी व्रत की कथा जरूर पढ़नी चाहिए. एवं विष्णु जी की धूपबत्ती व दीपक से आरती भी करनी चाहिए. इस एकादशी को भगवान विष्णु को पीले रंग के मिष्ठानों का भोग लगाते हैं. और जब पूजा सम्पन्न हो जाए तब अपने सभी पापों का प्रायश्चित विष्णु जी की प्रतिमा के समक्ष कर लेना चाहिए. और किसी शुद्ध ब्राह्मण हो पीले वस्त्र व पीले रंग की वस्तुओं समेत दान-दक्षिणा भी देनी चाहिए.

आप सभी को पापमोचनी एकादशी का उपवास अवश्य रखना चाहिए.

यह भी पढ़ें:-

कालाष्टमी कब और क्यों मनाई जाती है, जानिए महत्व…

Tags

Share this story