श्री खाटू श्याम मंदिर में लगने वाले मेले का महत्व

 
श्री खाटू श्याम मंदिर में लगने वाले मेले का महत्व

श्री खाटू श्याम जी राजस्थान का प्रमुख तीर्थ स्थल है. इस मंदिर का महत्व मेला लगने के कारण अधिक है. जो प्रत्येक वर्ष फाल्गुन मास में आयोजित होता है. यहां पर अनेक प्रकार की दुकानें यात्रियों का मन मोह लेती है. व्यक्ति घोड़े, ऊंट, हाथी आदि की सवारी का भी आनंद उठा सकते हैं.

श्री खाटू श्याम जी

श्याम जी की पूजा अर्चना करने से मनुष्य अपनी इच्छाओं पर काबू पा सकता है. जानते हैं इस मंदिर का नाम श्री खाटू श्याम जी क्यों पड़ा? पुराणों के अनुसार जब कुरुक्षेत्र में युद्ध चल रहा था. तो उस समय भीम का पोता बर्बरीक युद्ध में भाग लेना चाहता था. लेकिन भगवान श्री कृष्ण चाहते थी कि वह भाग ना लें. यदि वह युद्ध में भाग लेता है, तो पांडवों की विजय होगी. जिसमें बिल्कुल भी न्याय नहीं है. इसीलिए कृष्ण ने ब्राह्मण वेश धारण करके बर्बरीक से उसका सिर मांगा. बर्बरीक ने बिना निसंकोच अपना सिर भगवान के चरणों में सौंप दिया और उनकी आज्ञा का पालन किया.

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जिससे कृष्ण अति प्रसन्न हुए और उसे दो वरदान दिए. पहला वरदान यह था कि वह इस पहाड़ी से युद्ध को देख सकेगा और दूसरा कि वह मेरे साथ यानि भगवान श्री कृष्ण के साथ पूजा जाएगा. तभी से इस मंदिर का नाम खाटू श्याम मंदिर पड़ा. और यह एक पवित्र स्थल के रूप में प्रसिद्ध हो गया . ऐसा कहा जाता है कि फाल्गुन मास की एकादशी के दिन बर्बरीक का शीश स्थापित किया गया था. इसीलिए प्रत्येक वर्ष फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को श्री खाटू श्याम जी का जन्म उत्सव मनाया जाता है.

खाटू श्याम मंदिर की रचना

खाटू श्याम जी मंदिर राजस्थान के सीकर जिले में खाटू नामक स्थान पर स्थित है. यह मंदिर श्वेत संगमरमर से बना एक अनूठी शैली का है. यह तीन मंजिलों में बना हुआ है. जिसमें प्रथम मंजिल में खाटू श्याम जी की मूर्ति स्थापित है. और ऊपर की अन्य मंदिरों में पूजा-अर्चना से संबंधित कार्य संपन्न किए जाते हैं. मंदिर का शिखर अर्ध गोलाकार आकृति का बना है. मंदिर का द्वार एक सुंदर विशेष आकृति में निर्मित है.

मेले का महत्व

-खाटूश्याम बाबा का मंदिर काफी पुराना है.
-इस मंदिर की एक खास बात है कि यहां केवल देवताओं के सिर की पूजा की जाती है. यहां की मूर्तियां धड़विहीन होती है.
-लोगों का विश्वास है कि यहां सभी की मुरादें पूर्ण होती हैं.
-ऐसा माना जाता है कि जो यात्री यह यात्रा पूर्ण करते है. उसकी यात्रा को 'निशान यात्रा' कहा जाता है.
-वरदान के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण के साथ जो व्यक्ति खाटू महाराज की पूजा-अर्चना करता है. उसे धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष आदि की प्राप्ति होती है.
-खाटूश्याम जी का मंदिर राजस्थान में ही नहीं, बल्कि अनेक देशों और विदेशों में भी पूज्यनीय है.

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