Jagannath Rath Yatra 2022: आखिर क्यों निकाली जाती है भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा? जानिए पौराणिक कथा…
Jagannath Rath Yatra 2022: जगन्नाथ मंदिर भारत की पवित्र भूमि पर स्थित चारों धामों में से एक है. जोकि 8000 वर्षों से भी पुराना है. जिसके दर्शन करने लोग यहां देश विदेश से आते हैं. इस धाम को मुक्ति धाम कहा जाता है, जहां के दर्शन मात्र से व्यक्ति के जीवन के सारे पाप पुण्य में बदल जाते हैं. जहां आंरभ से ही जगन्नाथ रथ यात्रा का विशेष धार्मिक महत्व रहा है. ये यात्रा पुरी शहर, ओडिशा में निकलती है, जिसमें देश विदेश से हजारों-लाखों लोग यहां सम्मिलित होते हैं. ये यात्रा हर वर्ष आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को निकाली जाती है. जिसमें प्रभु श्री कृष्ण के अवतार जगन्नाथ जी और उऩके भाई बलराम व बहन सुभद्रा की रथ यात्रा निकाली जाती है.
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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जगन्नाथ मंदिर से रथ यात्रा होते हुए गुंडिचा मंदिर (भगवान श्री कृष्ण की मौसी का घर) तक जाती है. जहां जगन्नाथ भगवान करीब 7 दिनों तक रहते हैं. और इस बार ये यात्रा 01 जुलाई 2022 को शुरू होगी. जिससे 2 हफ्ते पहले भगवान जगन्नाथ, भाई बलराम और बहन सुभद्रा को करीब 108 घड़ों से करीब 3 दिनों तक स्नान कराया जाता है. जोकि 14 जून 2022 को कराया गया था, इसे सहस्त्रधारा स्नान के नाम से जाना जाता है. इस दौरान भगवान जगन्नाथ को एकांतवास में रखा जाता है. जोकि रथ यात्रा के दौरान स्नान के 15वें दिन अपने भक्तों को दर्शन देते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर क्यों निकाली जाती है जगन्नाथ भगवान की यात्रा? तो चलिए जानते हैं…
जगन्नाथ रथ यात्रा का शुभ मुहूर्त
30 जून 2022 सुबह 10 बजकर 49 मिनट से
01 जुलाई को दोपहर 01 बजकर 09 मिनट तक।।
आखिर क्यों निकाली जाती है जगन्नाथ रथ यात्रा?
पौराणिक मान्याताओं के अनुसार, भगवान जगन्नाथ ने जब एक बार पूर्णिमा पर नदी में स्नान किया था. तब उनका स्वास्थ्य खराब हो गया था, ऐसे में करीब 14 दिनों तक उनका उपचार चला. तब जाकर भक्तों को 15वें दिन भगवान जगन्नाथ के दर्शन हुए. कहते हैं तभी से ये परंपरा चलती आ रही है.
कई सारी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एक बार जब भगवान श्री कृष्ण की बहन सुभद्रा ने द्वारका नगर भ्रमण की बात कही. तब श्री कृष्ण ने अपने रथ पर बिठाकर सुभद्रा को द्वारका नगरी दिखाई. तभी से हर साल भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली जाती है. औऱ हर साल भगवान जगन्नाथ स्नान के बाद 15वें दिन रथ यात्रा के समय नगर में घूम-घूमकर भक्तों को दर्शन देते हैं.
और जब तक भगवान जगन्नाथ स्नान के बाद 14 दिन गर्भगृह में बिताते हैं, तब तक जगन्नाथ मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं. उसके बाद 15वें दिन भगवान जगन्नाथ के दर्शन होते हैं. मान्यता है कि जो भी व्यक्ति जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान रथ खींचता है, उसे सौ यज्ञों के बराबर पुण्य की प्राप्ति होती है. साथ ही भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा में शामिल होने मात्र से व्यक्ति को जीवन में मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस तरह से, जगन्नाथ रथ यात्रा पूरे 10 दिन चलती है, जिसे पुरी में एक उत्सव की भांति मनाया जाता है.