Kalawa Facts: पूजा के बाद हाथ की कलाई पर क्यों बांधा जाता है कलावा? ये हैं इसका मुख्य कारण...
Kalawa Facts: हिन्दू धर्म में कलावे का बड़ा ही महत्व है कहा जाता है किसी की कलाई सूनी नहीं होनी चाहिए. कलावे का धार्मिक महत्व तो है ही... साथ में वैज्ञानिक महत्व भी हैं.
सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार हाथ में कलावा बांधने से, सकारात्मक ऊर्जा आती है. पुरुषों को कलावा अपने दाएं हाथ में बांधना चाहिए.
वहीं अविवाहित लड़कियों को दाएं व विवाहित स्त्रियों को बाएं हाथ में कलावा बंधना चाहिए.
आइये आज हम आपको बताते हैं कि हाथ की कलाई पर कलावा बांधने के क्या-क्या फायदे हैं. आशा करते हैं आपको यह लेख पसन्द आएगा.
क्या होता है कलावा
हिन्दू धर्म में आपने पूजा-अर्चना इत्यादि में देखा होगा कि पूजन के समय पण्डित जी आपके हाथों में एक धागा बांधते है. उसे कलावा कहते हैं.
उसका रंग लाल भी हो सकता है. और कलावा पीला भी हो सकता है. मंदिरों में कलावा बांधने की परंपरा भी होती है.
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सकारात्मक ऊर्जा का होता है संचार
कलावा बांधने की परंपरा प्रत्येक पूजा पाठ में होती है इसके बाद ही पूजन का कार्य होता है. यह कलावा लाल पीले किसी भी रंग का हो सकता है. अत्यंत शुभ माना जाता है.
कलावा बांधने से दैवीय शक्तियों की कृपा बनी रहती है. इसके साथ ही यह सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है.
वैज्ञानिक फायदे
मनुष्य की कलाई में कई नशे होती हैं कलावा बांधने से उन पर नियंत्रण रहता है. इसके कारण ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर , एवं हृदय गति पर भी नियंत्रण रहता है.
पौराणिक महत्व
कहा जाता है कि पहले माता लक्ष्मी ने राजा बलि को कलावा बांधा था. और उन्हें अपना भाई बना लिया था. जब राजा बलि ने विष्णु जी से पाताल लोक में रहने को कहा था.
और भगवान पाताल लोक में रह गए. तब माता लक्ष्मी जी ने राजा बलि को कलावा बांधकर अपना भाई बनाकर अपने पति को वापस मांग लिया था.